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श्रीपूजों की पोलिसी.
वाई हो तो श्रीपूज उन श्रावकका नाम अपने दफतर मे अपने गच्छके श्रावक तरीके लिख दीया.
(४) अन्य गच्छीय श्रावकके निकाला हुवा संघ में कीसी श्रीपूजकों साथ ले गये तो उस परभी अपने गच्छके श्रावकों की छाप ठोक दी.
(५) अन्य गच्छीय श्रावक कीसी श्री पूज्योंसे मगवत्यादि प्रभाविक सूत्रका महोत्सव कर सुना हो उसे भी अपना श्रावक होना मान लीया.
(६) अन्य गच्छीय श्रावक कीसी श्री पूजको खमासमण दीया हो वा नगर प्रवेशका महोत्सव कीया हो उसेभी स्वगच्छकी श्रेणिमें मान लीया.
(७) अन्य गच्छीय श्रावक कीसी दूसरा गच्छके आचाका पद महोत्सव कीया हो तो दफतरोंमे दाखल कर लेते है की यह श्रावक हमारे गच्छका है इत्यादि एसी बहुतसी घटनाएं हुई है जिसका खुलासा जैन जाति महोदय नामकी की ताब में विवर्णके साथ लिखा गया है ।
पाठक वर्ग यह नहीं समजे की लेखकके हृदयमें गच्छकदाग्रह है मेरा खास हेतु यह है कि जो असलि वस्तु इतिहास के रुपमेंथी ऊसे बदलाके एक कपोल कल्पीत गप्पोंकि श्रेणिमें लेजाना इससे इतिहासकों कितनि हानि पहुंचती है उसे रोकना. दूसरा जिन महात्माओंने अपनी आत्मशक्ति व उपदेश द्वारों जिन भव्यात्माओं
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