________________
(४२)
डागामालु. पुत्र था कुंवरपालजी जिनकी पोलाद कटारीया, कचरपालजी जिसके कोटेचा रत्नपालजी जिस्के रत्नपुरा सोभणजी जिस्के सोभद्रा इसका समय १०१२ का लिखा है इस कथापर यतिजीने युक्ति रची मालुम होती है पर यह विश्वास करने योग्य नहीं है । (१३) रागा मालु छोरीया पारख.
वा० लि० सोनीगरा चौहान राजा रत्नसिंहका सापविष दादाजी उत्तारीयाकी खबर दीवान मालदे राठी को हुई तब अपने पुत्रके अर्धागकी बिमारी मीटानेका दादाजी को कहा दादाजीनें दीवानके लाडकेको अारोग्य बना कर जैन बनाया जिसकी डागा मालु जाति हुई।
समालोचना-रत्नसिंहका समय तो यतिजी वि. स. १०२१ का लिखा है और दादाजीका समय ११८१ का लिखा है नजाने यतियोंने दादाजीकी आयुष्य कीतना वर्षकी मानी होगी दादाजीके समय सोनीगरा चौहान ही नहीं था न जाने यतिजी नशाका तारमें यह गप्पों क्यों लिखमारी होगी. डागा मालुओंके साथ छोरियोंका कुच्छ संबन्ध भी नही है। छोरीया नागपुरीया तपागच्छके पारख उपकेशगच्छके ।समजमे नहीं आताकी ५२ जातीके राठीयोंको जैन बनाके डागामालु जाति कीस हेतुसे स्थापि होगा यतिजी लिखती बखत इतना भी ख्याल नहीं कीया कि मालदेदी वानका समय १०२१ का और दादाजीका समय ११८१ का तो क्या डागामालु एसे अज्ञ ही है कि ऐसी कपोल कल्पित वातोंको मान लेगा डागामालु कीस गच्छके है यह निर्णय करना शेष रह जाता है. (१४ ) रांका वांका काला गौरादि
वा० लि. सोरठ वल्लभी के बाहार काकु पात्तक दो निधन तेल लुणकी दुकान
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com