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पृष्ट १४ लीटी ५ में-पं. साधुरत्न लिखा है वह " खरतराचार्य जिनपतिसूरि का शिष्य सुमतिगणी चाहिये
पृष्ट १८ लीटी १४ में-९९४३ के बदले ११४३ पढो। @SADRISODeceOHIDESHINDEEDERATI
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भावनगर-धी आनंद प्रीन्टींग प्रेसमें शा. गुलाबचंद लल्लुभाइने छापी.
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- पुस्तकों कि आशातना व अनादर न हों इस हेतु से इस किताब की नाममात्र किंमत चार आना रखी है जो रकम निच्छरावल कि आवेगी वह पुनः पुस्तकोंकी छपाइ में लगाई जावेगी।
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