________________
पिनमा
अथ श्री जैन जाति निर्णय प्रथमाक
अथवा महाजन वंस मुक्तावलि की समालोचना.
-*" महाजन वंस १८ गौत्र और रत्नप्रभसूरि
महाजन वंस मुक्तावलि का कर्त्ता यतिवर्य उपाध्याय रामलालजाने अपनी किताब में जो-जो अनुचित बातें लिखी है उसे पूर्वपक्ष में रख उसका योग्य समाधान उत्तरपक्ष में किया जावेगा।
पूर्वपक्ष-रत्नप्रभसूरि एक साधु के साथ ओशीयो आये, भिक्षा न मीलने पर उस शिष्यने गृहस्थों की औषधि कर भोजन लाता था.
उत्तरपक्ष-यह बात बिलकुल गल्त है कारण रत्नप्रभसूरि ५०० मुनियों के साथ श्रोशीयों पधारे थे और भिक्षा न मीलनेपर तपश्चर्या करते थे देखिये प्राचीन पट्टावलि " श्रीमद्रत्नप्रभसूरी पंचसय शिष्य समेत लुणाद्रही समायाति " मासकल्प अरण्ये स्थिताः गोचर्या मुनीश्वरा बजंति परं भिक्षान लभते लोकाः मिथ्यात्व वासिता
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com