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पुस्तक परिचय. बताके रांकोंसे वल्लभीका भंग, बुरडोंको सानात् शिवजीका दर्शन करवाके श्रीश्रीमालोंमें एक बादशाहसे हिन्दु धर्मकी निंदा करवाके इत्यादि ।
(७) छाजेडोंको ऐसा चूर्ण दीया कि मन्दिरोंके छाजा मोनाका हो गया अगर सब मन्दिर पर ही चूर्ण डाल देता तो कलिकालमें एक भरत महाराज ही बन जाता।
(८) कांकरीयोको दो कांकरा दीया जिनसे चितोडका राणाकों पराजय हो भागना पडा अगर यह कांकरा पृथ्वीराज चौहान या राणा प्रतापके हाथ लग जाता तो लाखो मन्दिर और सानोंका विध्वंस क्यों होता ?
(६) बोथरा कोचर और वेद मुत्तोंकी ख्यातोंमें तो आप युक्ति मन्दिर पर सुवर्णका कलस चढा दीया और ध्वजादंडके लिये पोरवाड श्रीमाल और श्रावगीयोंकी युक्तियों तय्यार कर युक्ति मन्दिरको सर्वांग सुन्दर बना दीया है। बलिहारी है यतियोंके इतिहासकी।
यतिजी जैसे जैन जातिके इतिहास ज्ञाता है वैसेही गजपुत्तोंके इतिहासके भी जानकार है । तुबार पँवार पडिहार राठोड चौहान भाटी सोनीगरादिके इतिहासका परिचय भी आप अपने ग्रन्थमे ठीक दीया हैं नमूनाके तौर पर देखिये ।
(१) भाटीयोंकी वंसावलि-युगल मनुष्योंसे प्रारंभ करी है राजा यादवसे यादव नाम हुवा राजा यादवके १३ वी पीढीमें राजा भाटी हुवा जबसे यादवोंका दूसरा नाम भाटी हुवा राजा भाटीकी १७ वी पीढीमें राव जैसल हुवा जिसने वि. सं. १२१२ में जेसलमेर वसाया. अर्थात् यादवराजाकी ३० वी पीढीमें राव जेसल हुवा. हिन्दु शास्त्रोंसे यादवराजासे जेसलराव तक ५००० वर्ष हुवा
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