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पालनी स्वीकार करते हैं याने श्री यशोमुनि जी का अनुकरण द्वारा खरतरगच्छ की क्रिया करने की इच्छा रखते हैं ।
पन्यास श्री हर्षमुनि कान्तिमुनि देवमुनिभिः शिष्यैरादितोंगीकृतया तपागच्छीय समाचार्या भवन्त मनुकुम इत्युदितम् ॥ ___ भावार्थ-पन्यास श्री हर्षमुनि, कान्तिमुनि, देवमुनि शिष्यों ने गुरु महाराज को उत्तर दिया कि हम लोग प्रथम से अंगीकार की हुई तपगच्छ की समाचारी द्वारा आपका अनुकरण करते हैं याने आप हम लोगों को खरतरगच्छ की समाचारी करने के लिये आग्रह करते हैं परन्तु हम लोग आपकी आज्ञा का अनुकरण (पालन) नहीं करेंगे अर्थात् ५० दिने पर्युषण आदि शास्त्र सम्मत खरतरगच्छ की समाचारी नहीं करेंगे किंतु सिद्धांत विरुद्ध ८० दिने वा दूसरे भाद्रपद अधिक मास में ८० दिने पर्युषण आदि तपगच्छ की समाचारी करेंगे और ७० दिने प्रथम कार्तिक मास में कार्तिक चातुर्मासिक प्रतिक्रमण नहीं करेंगे किंतु दूसरे कार्तिक अधिक मास में १०० दिने करेंगे इत्यादि तपगच्छ की समाचारी करने का दुराग्रह प्रकाश किया है और करते हैं अस्तु___कल्याणमुनि पद्ममुनि क्षमामुनि शुभमुनि प्रभृतिभिर्बहुभिर्हर्षमुनिरस्माकं शरण मित्युक्तं ॥ ___ भावार्थ-कल्याणमुनि, पद्ममुनि, नमामुनि, शुभमुनि आदि कई एक प्रशिष्यों ने उत्तर में कहा कि हम लोगों को तो हर्षमुनि का ही शरण है याने हर्षमुनि जी की तरह तपगच्छ की समाचारी करेंगे यह उत्तर दिया अतएव इन लोगों ने भी शास्त्रसम्मत
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