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(१८) मुनिवल्लभविजय-पालणपुर, इसमें शक नहीं कि अंग्रेज सरकार के राज्य में कला कौशल्य की अधिकता हो चुकी है, हो रही है और होती रहेगी । परंतु गाम वसे वहाँ भंगी चमारादि अवश्य होते हैं तद्वत् अच्छी अच्छी बातों की होशियारी के साथ में बुरी बुरी बातों की होशियारी भी आगे ही आगे बढ़ती हुई नज़र आती है । इत्यादि अपनी होशियारी के निःसार दो लेख लिखे उसमें उत्तर लेख, बुद्धिसागरजी ! याद रखना वो प्रमाण माना जावेगा जो कि तुम्हारे गच्छ के आचार्यों से पहिले का होगा मगर तुमारे ही गच्छ के आचार्य का लेख प्रमाण न किया जावैगा जैसा कि तुमने श्रीजिनपति सूरिजी की समाचारी का पाठ लिखा है कि दो श्रावण होवे तो पिछले श्रावण मे ५० दिने और दो भाद्रपद होवे तो पहिले भाद्रपद में ५० दिने पर्युषण पर्व साम्वत्सरिक कृत्य करना क्योंकि यही तो विवादास्पद है कि श्रीजिनपतिसूरिजी ने समाचारी में जो यह पूर्वोक्त हुकुम जारी किया है कौन से सूत्र के कौनसी दफा के अनुसार किया है । हाँ यदि ऐसा खुलासा पाठ पंचांगी में आप कहीं भी दिखा देवै कि दो श्रावण होवे तो पिछले श्रावण में ५० दिने और दो भाद्रपद होवे तो पहिले भाद्रपद में ५० दिने साम्वत्सरिक प्रतिक्रमण केशलुंचन अष्ठमतप चैत्यपरिपाटी और सर्वसंघ के साथ खामणाख्यपर्युषणा वार्षिक पर्व करना तो हम मानने को तैयार हैं।
प्रिय पाठक गण ! श्रीवल्लभविजयजी ने हमारे भेजे हुए श्री बृहत्कल्पसूत्रचूर्णि के पाठकों और श्रीपर्युषणकल्पसूत्र संबंधी पाठ को माया से छुपाकर भोले भद्रीक जीवों को भरमाने के लिये उपर्युक्त उत्तर लेख में श्रीजिनपतिसूरिजीमहाराज की समाचारी के पाठ को भी नहीं मानना जो लिखा है सो आपकी
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