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________________ अजीवस्स वा, जीवाणं वा, अजीवाणं वा, तदुभयस्स वा, तदुभयाणं वा, आवस्सए त्ति, नाम कजइ, सेतं, नामावस्सयं ॥१॥ अर्थः-ते आवश्यक केटली प्रकारनो छे, तो के चार प्रकारनो छे. । एक नाम आवश्यक १ । बीजो स्थापना आवश्यक २ । त्रिजो द्रव्यावश्यक ३ । अने चोथो भाव आवश्यक ४ ॥ ॥ एम आवश्यकना चार निक्षेप वर्णन करेला छे. ॥ अहीयां ध्यानमा राखवा- एटलं छे के, षट् आवश्यक क्रिया रूप वस्तुने, मनमां धारण करी, गणधर महाराजाओए, आ आवश्यक रूप क्रिया वस्तुना, “ चार निक्षेप" जणाववाने, सूत्रनी रचना करेली छे. अने ते क्रियाने जणावनार सूत्र, अथवा साधु, ए बेज छे ते आगल सूत्रार्थथी स्पष्टपणे समजासे. ॥ . केमके आवश्यक शब्दनो अर्थ एवो करेलो छे के, अवश्य करवाने योग्य ते, अथवा आत्माने गुणोथी वासित करे ते, अथवा गुणोने वश करे, तेनु नाम आवश्यक छे. ॥ ॥ अने एज अर्थ, ढूंढनी पार्वती पण, सत्यार्थ चंद्रोदय पृष्ट. २ मां करे छे के, “प्रश्न, आवश्यक किसको कहिये, उत्तर अवश्य करने योग्य, यथा आवश्यक नाम सूत्र. ॥ एम ढूंढनी पण समज्या वगर लखे छे, केमके अथवा आवश्यक सूत्र, एम लखवू जोइतुं हतु, कारण के आवश्यक क्रियाने प्रगट करनार साधु अथवा आवश्यक सूत्र छे, तेथी अथवा शब्दथी लखवानु हतुं तेने ठेकाणे, यथा आवश्यक सूत्र लख्युं छे. ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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