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________________ १३४ ना, लखीने बताया । एटले बुट, इस्टाकिन अने चस्मांना चढाववावाला ढूंढक वाडीलालना गर्वनुं तो पुछवंज शु! तेने तो थइ गयेला सर्व आचार्योंने, भस्म ग्रहना भ्रमित लखी बताव्या. । आ बन्ने तत्व विमुखोए, जैनमार्गनी शैलीथी विपरीतपणे, तदन जुठनो पुंज भेगो करी, एकेको थोथो पोथो बहार पाडी, अमारा ढूंढक श्रावकोनी भोळी प्रजाने, तीर्थंकर भगवाननां नाम स्मरणादिक पण निरर्थक, अने उपयोग विनानां बतावी, तेमनी किंचित् मात्रनी भक्तिथी पण, दूर करवाना इरादाथी, अने तेमना धर्म धननो, सर्वथा प्रकारथी नाश करावी, आ महा भयानक अघोर संसारमा, रखडावी मारवानेज तैयार थयेलां छे. । एम अमारा दिशावलोकन लेख मात्रना स्वरूपथी सुज्ञ पुरुषोने स्पष्टपणे समजाइ आवशे. ॥ " इति श्रीमद्विजयानंद सूरीश्वर लघु शिष्येनाऽमर मुनिना निक्षेप विषयानां किंचित् मात्र विचारः संकलितः || ॥ ढूंढक, अने मूर्तिपूजकनो, निक्षेप विषये, संवाद ॥ ॥ ढूंढक - वस्तुना चार निक्षेप तो अमो मानीये छीओ पण 'त्रणनिक्षेप' अवस्तु अने उपयोग विनाना छे एम मानीये, एटले निरर्थक मानीये छी || ॥ मूर्त्तिपूजक- आचार्य, उपाध्याय, अने साधुनां, जे 'नवकारमा ' नाम जपीये छीये तेना मूलनां, नाम, कयां ! केमके बीजी वस्तुमां, आचार्यादिकनां, नाम आपीये ते तो, नामनिक्षेप, कहेवाय, एवं इंढक वाडीलाले, अने ढूंढनी पार्वतीए, लखीने बताव्यं हृतं । वास्ते जेवी रीते तीर्थकरोनां मल नाम खोळीने काव्यां, तेवीज रीते आचार्य, उपाध्याय, अने साधूनां पण, मूल नाम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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