________________
६१
संभाजी 1
शाहु ( प्रथम )
राजाराम
97
शाहु (द्वितीय)
1
प्रतापराव
राजाराम
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
शिवाजी
1 राजाराम (गोदगया)
[ प्राक्कथन
संभाजी (कोल्हापुर)
1
शाहूको बंदीपनसे मुक्त होनेके पश्चात् बालाजी विश्वनाथ नामक ब्राह्मण से प्रचुर सहायता मिली थी । अतः उसने अपने राज्यका सबसे बड़ा पेशवा पद उसे प्रदान किया । बालाजी विश्वनाथ भट्टकी पेशवा पद मिलते समय विक्रम १७६६ में, ५३ वर्षकी अवस्था थी। परन्तु उसने शाहुकी राज्य सत्ताको बढ़ाने और शत्रुओं को नाश करनेमें कोई भी बात उठा न रखी | सर्व प्रथम उसने ताराबाईका बल नाश किया। अनन्तर अन्यान्य सरदारोंको पराभूत कर शाहुकी सत्ता वृद्धिकर वास्तवमें उसे महाराष्ट्रका राजा बनाया। यहां तककि विक्रम १७७४ में एक भारी सेना लेकर अबदुल्लाखांके साथ दिल्ही गया, और बादशाह फर्रुखसियारको पदभ्रष्ट करनेमें हाथबटा रफीउद्ज्जातको बादशाह बना तीन सनद प्राप्त कीं। उनमेंसे प्रथमके अनुसार शिवाजीकी मृत्युके समय जितने भूभागपर अधिकार था, वह शाहूका स्वराज्य रूपसे माना गया। दूसरेके अनुसार मरहठोंने जो खानदेश, बेड़ार, हैद्राबाद और कोकण आदिका भूभाग विजय किया था, वह न्यायोचित शाहुका प्रदेश माना गया । तीसरेके अनुसार शाहुको खानदेश, बेड़ार, हैद्राबाद, कर्नाटक और कोकण आदि प्रदेशमें अपने कर्मचारिओंको रख कर चौथ वसूल करनेका अधिकार दिया । एवं इसकी दूसरी शर्त यह थी कि कोल्हापुरके महाराज संभाजी ( अपने चचेरे भाई ) के साथ शाहु छेड़छाड़ न करे अर्थात कोल्हापुर स्वतंत्र बना । और बादशाहने शिवाजी के परिवारके बंदी स्त्री और बच्चोंको विमुक्त कर सतारा भेज दिया । विक्रम १७७६ में बालाजीकी मृत्यु हुई। बाजीराव दूसरा पेशवा बना । अन्य बातोंके विवेचनको हस्तगत करने के पूर्व हम पेशवा वंशकी वंशावली उधृत करते हैं ।
www.umaragyanbhandar.com