________________
[प्राक्कथन
-
-
योगराज
दाजीबाय
- कुशलसिंह
(६) वीरदेव (७) रायभान (द्वि०)
-
जोरावरसिंह
कीरतसिंह
(८) गुलाबसिंह (प्र०) (९) उदयसिंह ,
(१०) वीरसिंह
(११) नाहरसिंह
(१२) रायसिंह (१३) उदयसिंह (द्वितीय) (१४) हमीरसिंह (१५) मुलाबसिंह (द्वि०) (१६) प्रतापसिंह
इन्द्रसिंह प्रवीणसिंह नटवरसिंह किशोरसिंह
वर्तमान राज्यवंशको वासदीया सोलंकी कहते है। परंपराके अनुसार इसका प्राचीन विरुद वासदपुर नरेश पाया जाता है। राजकीय प्राचीन कागजोंसे प्रकट होता है कि इस संन्यका नाम विजयपुर था और कागजों में इसका उल्लेख संस्थान विजयपुर-प्रांत संसदा मिलता है। इस राज्यवंशके अस्तित्वका सापक हमारे पास विक्रम संवत् १६५१ का एक प्रमाणपत्र है। उसके अतिरिक पारसियोंके इतिहासले राज्यवंशका अस्तित्व १००-१५० वर्ष और पीछे चला जाता है। और लगभग प्राचीन वासुदेवपुरकी समकक्षतामें पहुंचा जाता है। । वर्तमान राज्यका अधिकार मुगलोंके समयमें आजसे कई गुने भूभागम था। और यह समुद्रपर्यंत फैला हुआ था । परन्तु संसार चक्रकी नैसर्गिक गतिके अनुसार इस राजवंशका अधिकार क्रमशः हास होता हुआ भाज नाम मात्रका रह मया है। मुगल साम्राज्यके अन्त सा
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com