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चौलुक्य चंद्रिका ] विजयपुर (बांसदा) के चौलुक्य ।
सम्प्रति वासुदेवपुरका ६० प्रतिशत् भूभाग गायकवाड़ और ब्रिटिश सरकारके अधिकारमें है। संभवतः उसका ५ प्रतिशत् धर्मपुर और सरगनाके और शेषभूत ५ प्रतिशत अंशपर आजभी चौलुक्य वंशका अधिकार है। वर्तमान राज्यवंशकी परंपरा राजवंशका इस भूभागपर अस्तित्व अलाउद्दीन खिलजीके समयसे बताती है। और उसका वंशगत संबंध पाटनके चौलुक्य वंशके साथ मिलाती है । उक्त दोनों बातें परस्पर विरोधी हैं, पुनश्च यह अकाट्यरूपेण सिद्ध हो चुका है कि पाटनका चौलुक्य वंश जहां उत्पन्न हुआ वहांही लीन हुआ। जबकि पाटन राज्यका मूलोच्छेद और उसकी वंशतंतु भस्मीभूत हो गई, तो ऐसी दशामें वर्तमान राज्यवंशको पाटनका वंशधर बतलाना परंपराकी धृष्टता है। इतना होते हुए भी परंपरामें ऐसी बातें हैं कि जिनके बलपर राज्यवंशका अस्तित्व इस भूभागपर ६०० सौ वर्ष पूर्वभावी माननेमें आपत्तिकी अधिक संभावना नहीं है। राज्यकी परंपरा तथा अन्यान्य ऐतिहासिक लेखों इत्यादिको दृष्टि कोणमें रखते हुए हमारी दृढ धारणा है कि वर्तमान राज्यवंशका संबंध पाटनसे न होकर पुरातन वासुदेवपुरके साथ हो सकता है। परन्तु यह विषय अनुसंधान साध्य है। इस हेतु सम्प्रति इसका विवेचन छोड़ वर्तमान राज्यवंशके इतिहासकी झलक दिखाते हैं।
परंपरा कथित वंशावलीका मराठी और ब्रिटिश रेकार्ड के साथ तारतम्य सम्मेलनके अनन्तर पूर्वकी कुछ श्रेणियां छोड़ राजवंशकी वंशावली निम्न प्रकारसे उपलब्ध होती है।
(१) रायभान (प्रथम)
(२) उदयभान
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(३) मूलराज
(४) मूलदेव
(५) उदयभान (द्वितीय)
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