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[ लाट वासुदेवपुर खण्ड
विवेचन
स
है
. लेलागलपुरीके बौलुक्याराजा कृष्णराम के भाई कुम्भदेव का है। यह लेख
के पितली नामक तालुका के अन्तर्गत यारोलिया नामक ग्राम के पास बहने वाली मालपत्थरपरखुदाहुया है। पत्थर के आकार से प्रतीत होता है कि उक्त -पत्थर
का शिवाल का पत्पर है। हमारी इस धारणा का समर्थन इस बात से होता है कि सलमानादिदेव की स्थापना का उल्लेख है । पुनश्च जहां पर यह पत्थर पड़ा है वहां से कुछ धिमाकर दो मूर्तियां जमीन में गड़ी हुई थीं। उक्त मूर्तियों का अधिकांश पृथिवी के गर्भ में बार उनसखोदकर निकालते ही पर प्रत्येक पर खुदे हुए लेख मिले। इन मूर्तियोंका-पत्थर-एक
माटा,लिगभगादो फिट चौड़ा और पांच फिट लम्बा है। इनके नीचे के भाग में लेख सुदा
लाका अक्षर प्रायः नष्ट गया है। परन्तु "कृष्णराज विजयराज्ये" बहुत ही स्पष्ट है । कहीं मूर्तियों के समान गणदेवानामक ग्राम के एक शिव मन्दिर में दो मूर्तियां दिवाल में चुनी
न भूतियों के भी मिग्न भागमें लेख है । बारोलिया और गणदेवा दोनों स्थानों की ओका नवप्रायः एकही है। यदि कुछ इनमें अन्तर है तो वह केवल सिधि संबंधी है। बारों मतियों टूट कूटे अक्षरोकोल्युतम्लेख के साथ मिला कर पड़ने से इन लेख का यथार्थ परिचय मिल जाता है। योकि प्रस्तुत लेख के साक्षर ईश्वरुपा से स्पष्ट और सुरक्षित मसलेल से मूर्तियों के लेख के टूटे हुये अंश को पूरा करने में प्रचुर सहायता मिलती है।
या काभूतियों के लेखों को इस लेपकी सहायता से रूपान्तर कर हम इस लेख के मादक है | गणदेवकी मूर्तियों के लेख का अवतरण अनावश्यक मान हम नहीं है। प्रस्तुत लेख में कुम्भदेव और उसके भाई कृष्णराज की वंशावली निम्म प्रकार
"कृष्णदेव
.
उदयराज
सहदेव
क्षेमराज
कृष्णाराज
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