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[लाट वासुदेवपुर खण्ड
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कर्ण देव के शासन पत्र
-:विवेचनः
प्रस्तुत शासन प, मंगलपुर बासन्तपुर के चौलुक्य कर्णदेव के अपनी दादी के अर्ध वार्षिक और माता के श्राद्ध तथा पिता के पार्बण श्राद्ध कालमें उनकी आत्माकी शान्ति के उद्देश्य से ब्राह्मणों को दान में दिये हुए ग्रामका प्रमाण पत्र है । इसका लेखक जंबुकेश्वर का रहने वाला नार सोमदेव का पुत्र हर्ष और दूतक वीरदेव तथा लेखकी तिथि आश्विन कृष्णा १४ संवत १२७७ है। चौलुक्योंकी वंशपरंपरा देने पश्चात दाता कणदेव की वंशावली निम्न प्रकार से दी
वंशावली
... (१.) विजयसिंह
(४)
रामदेव
(२) धवलदेव
(५) वीरदेव
. . (३) . वासन्तदेव
(६) कर्णदेव शासन पत्र से प्रकट होता है कि कर्णदेवको अपने दादा से गदी मिली थी। परन्तु उसकी मृत्यु कब हुई शासन पत्र से प्रकटं नहीं होता। परन्तु शासन पत्र कर्ण के पिता के पार्वण श्राद्ध काल में लिखा गया है । पार्वण श्राद्ध प्रथम वार्षिक तिथि पर होता है । अतः कर्णदेवके पिताकी मृत्यु काल आश्विन कृष्ण। १४ संवत १२७६ ठहरता है । इससे प्रकट होता है कि कर्णदेवको उसके दादाने उसके पिताकी मुत्यु पश्चात शोक से समप्त हो अपने जीते जी गदी पर बैठा दिया था और शासन पत्र लिखे जाने के समय वह जीवित था। यदि एसी बात न होती और कर्णका दादा पहले मरा होता तो उसे राज्य अपने पितासे उत्तराधिकारमें मिला होता । वीरदेवका शासन पत्र विक्रम संवत १२३५ का हमे प्राप्त है । अतः उसका राज्यकाल १२३५ से १२७६ पर्यन्त ४२ वर्ष है।
दान प्रहिता ब्राह्मणों का विवण निम्न प्रकार से दिया गया है । बहूधान निवासी हरिकृष्ण - रामकृष्ण सोमदत्त प्रभृति तीन ब्रामण देवसारिका निवासी वासिष्ट गोत्री यज्ञदत वेदत्त - कृष्णदत्त प्रभृति तीन ब्राह्मण, बांधवली प्रतिवासी भारद्वाज गोत्री विज्ञान दत्त हरिदल रेवापत्त तीन ब्राह्मण और कच्छावली प्रतिवासी गौतम गोत्री विश्वनाथ आदि एकादश ब्राह्मण ।
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