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चौलुक्य चंद्रिका ]
अराकिरी प्रशस्ति
छायानुवाद। कल्याणहो । जब के समस्त संसारमे संस्तुयमान चरित्र महाराजाधिराज परमेश्वर परम भट्टारक सत्याश्रय कुल तिलकं चौ क्य वंशोद्भव श्रीमत् त्रयलोक मल्ल देव का राज्य वर्तमान था उस समय पंच महाशब्द अधिकार प्राप्त पल्लववंशी पल्लवकुल के तिलक पृथिवी वल्लभ पवित्र वाणी (सत्यसंघ) त्रयलोक्यमल्ल ननिनोलम्ब पल्लव परमनादि जयसिंहदेव कोगली प्रान्त का महासामन्त था। उस समय सर्वजित संवत्सर शक ९६९ पौष्य मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि गुरुवार उत्तरायण संक्रान्ति के शुभ अवसर पर अराकिरी निवासी ओदियार केशीमाया ने पण्डितोंका पाद प्रक्षालन पूर्वक भगवान नागेश्वर देव के भोग राग नित नैमित्तिक पूजार्चन' के निर्वाहार्थ अराकिरी प्राममें निम्न प्रकारसे भूमिदान दिया। (१) देगुलद के लिये
,, ४ १/२ (३) गलदे (४) ओदिम हरि वेहले (५) कोदियाली (६) वेहले
(२).....
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