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चौलुक्य चंद्रिका ]
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नहीं । इनमें शुक्ल तीर्थ नर्मदा तटका प्रसिद्ध तीर्थस्थान है और आजभी शुक्लतीर्थके नामसे हीं प्रख्यात है । इसका अवस्थान नर्मदाके दक्षिण तठपर भरूचसे लगभग १०-१२ मीलकी दूरीपर है । एवं कलेश्वर राज्य पिपला लाइनके झघडी नामक स्टेशनसे ठीक उत्तरमे १ - १॥ मीलकी दूरीपर नर्मदा वहती हैं। नर्मदा बाम तठपर लिंबोद्रा नामक ग्राम हैं। अतः शुक्लतीर्थ और झघडी के मध्य लिंबोद्रा और नर्मदाका व्यवधान हैं । नन्दिपुरका शासन पत्र में दोवार उल्लेख है । प्रथमवार शासन कर्ताीके निवासके रूपमे और द्वितीयवार नन्दिपुर विषयके रूपमे । नन्दिपुर स्थानमें शासनकर्तीके पूर्वजोंकी राज्यधानी थी । नंन्दिपुरमें राज्यधानी होनेके संबंध में हम पुर्बमें पूर्ण रूपेण विवेचन कर चुके हैं । नन्दिपुर प्राम वर्तमान समय नांदोद नामसे प्रख्यात है और यह शुक्लतीर्थसे पूर्वदिशा में कुछ उत्तर हठा हुआ लगभग १७ - १८ मीलकी दूरीपर हैं। नादोंदसे नर्मदा पुर्व दिशामें लगभग ६-७ मील और उत्तर दिशामें उतनीही दूरीपर बहती हैं। शुक्लतीर्थ घडी और नांदोदके मध्यमे दोवती नदीसे पूर्व हरिपुर नामक ग्राम हैं। हरिपुर ग्राम नांदोद और झघडीयाके मध्यवर्ती उमाला स्टेशनके निकट है । हरिपुर शुकतीर्थसे लगभग ७-८ मील पूर्व और नांदोदसे लगभग १०-११ मील पश्चिम हैं । हमारी समजमें हरिपुरका उल्लेख शासन पत्रमे नन्दिपुर विषयके अन्तर्गत किया गया हैं । वह संभवतः वर्तमान हरिपुरही पुरातन हरिपुर हैं क्योंकि विषयके अन्तर्गत १०-११ मीलकी दूरीपर होनेवाले गावोंका होना असंभव नहीं इस हेतु वर्तमान हरिपुरकेहीं 'पुरातन हरिपूर होने की संभवना है । पुनश्च पाठशाला के निमित्त दिया हुआ गावं पाठशालाके स्थानसे दूर देशमें नही हो सकता ।
तीसरे स्थानका नाम काम्पिल्य है । काम्पिल्यके विषयमें शासन पत्रसे प्रकट होता है कि ब्रह्मावर्त के पांचाल जनपदका वह नगर था जहां के रहेने वाला ब्रह्मदेव ब्राह्मण था । जिसने शासन कर्ताको अपने उपदेश द्वारा कथित दान देनेके लिये अनुकुल बनाया था । ब्रह्मवर्त और पांचाल नाम पुराण प्रसिद्ध है। पांचाल नामसेभी पुराने ब्रह्मावर्त का ग्रहण होता है । ब्रह्मावर्त की भूरी भूरी प्रशंसा मनुस्मृतिमें पाई जाती है। प्रयाग से पश्चिम और दिल्हीसे पूर्व गंगा और यमुनाके मध्यवर्ती देशको ब्रह्मावर्त कहते है । इसी ब्रह्मावर्त के मध्य अलिगड से पूर्व और कानपुरसे पश्चिम गंगा यमुनाके मध्यवर्ती स्थानको दक्षिण पांचाल कहते थे । दक्षिण पांचलकी राजधानीका नाम कम्पिल्य था । और गंगाके तटपर बसा था। आजभी फरूखाबाद जिलामें कपिला नामक ग्राम है। जिसके चारो तरफ पुरातन नगरका अवशेष पाया जाता है। हमारी समजमें शासन पत्र का बाह्य और आभ्यान्तरं विवेचन हो चुका। अतः अब इतनेही से अलम् करते है ।
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