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चौलुक्य चंद्रिका] माननेकी प्रवृत्ति हमारी नहीं होती। सबसे बड़ी बात तो यह है कि एरथाणकी अष्ट सीमाओं वर्ती ग्रामों का अवस्थान का इन के कथनसे विरोध पड़ता है। क्योंकि इनके कथनानुसार एरथाण की चारो तरफ वाले ग्रामों में से अधिकतर दक्षिणमें पाये जाते हैं। इनके कथनानुसार एरथाण के चतुर्दिक वाले ग्रामोंका सीमाचक्र निम्न प्रकारसे है।
चक्र १.
उत्तर
वायव्य
इशान
HIR
एरथाण
ke
दक्षिण
नागम्बा
वटपद्रक बड़ोदा
(नागड़ा)
लिंगवट (लिंगोदा या नगदा)
शिवा (शिव) टेम्बरुक
(नलोदा) परन्तु प्रशस्ति अष्ट सीमावर्ती ग्रामोंका अवस्थान निम्न प्रकारसे बताती है । प्रशस्ति के कथित सीमाचक्र. निम्न प्रकारसे हैं।
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