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[बी अवस्थामें ही मरचुका था। अतः हम कह सकते हैं कि प्रथम लेख संवत ४२१ वाले के लिखे जाते समय वह अल्प वयस्क बालक था। परन्तु द्वितीय लेख संवत ४४३ वाले के समय वह अवश्य पूर्ण यौवन प्राप्त था। इन लेखों के संवत के संबंध मंगलराज के उत्तराधिकारी तथा लघु भ्राता पुलकेशी के संवत ४६० वालेलेखका विवेचन करते समय विशेष विचार करेंगे।
जयसिंह वर्मा के शिलादित्य, मंगलराज, बुद्धवर्मा नागवर्मा और पुलकेशी नामक पांच पुत्रांके होनेका परिचय मिलता है यह परिचय हमें इन पुत्रों के शासन पत्रों से मिलता है। शिलादित्य और मंगलराज के लेख का हम उपर उल्लेख कर चुके हैं। पुलकेशी का शासन पत्र नवसारी से, बुद्धवर्मा के पुत्र का शासन पा खेड़ासे और नागवर्धन का नासिक से मिला है। इन सब शासन पत्रों में वंशावली दी गई है। हम अपने पाठकों के मनोरंजनार्थ प्रत्येक शासन पत्र की वंशावली निम्न भागमें उधृत करते हैं।
आशा है कि उधृत वंशावलियों पर दृष्टिपात करते ही हमारे कथन कि जयसिंह वर्मा के पांच पुत्र थे, की साधुता अपने आप सिद्ध हो जायगी।
शासन पत्रोंकी वंशावलियाँ:--
पुलकेशी
कीर्तिवर्मा
पुलकेशी
कीर्तिवर्मा
कीर्तिवर्मा
| पुलकेशी ।
पुलकेशी पुलकेशी विक्रम जयसिंह । विक्रम जयसिंह ।
| जयसिंह । - शिलादित्य विक्रम जयसिंह बुद्धवर्मा । विक्रम जयसिंह
| पुलकेशी मंगलराज विजयराज
नागवर्धन
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