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नवमः ९]
भाषाटीकासमेतम् । (५३) समाक्रान्ते लग्ने त्रिदशगुरुणा वाथ भृगुणा बुधे कन्याराशौ मदनभवने भूमितनये ॥ मृगे कर्के चन्द्रे सति भवति लावण्यतिलका तपोरेखायोषा प्रभवति विशेषात्क्षितिपतेः॥९॥
यदि जन्मसमयमें लनका बृहस्पति अथवा शुक्र हो, तथा कन्याराशिका बुध सप्तमस्थानमें, मंगल मकरमें, चंद्रमा कर्कमें हो तो लावण्य ( सुरूपता) वाली स्त्रियोंमें (तिलका) श्रेष्ठ होने विशेषतः राजाकी महारानी बडी तपस्या करके पाई जैसी होवे ॥९॥
शशाङ्के कर्कस्थे भवति हि युक्त्यां विधुसुते वनौ जीवे मीने गवि भृगुसुते जन्मसमये ॥ सहस्राली मान्या जगति नृपकन्या गुणवती । विशेषादेषा स्यानृपतिपतिका पुण्यलतिका ॥१०॥
चंद्रमा कर्कका, बुध कन्याका, बृहस्पति मीनका लग्नमें, शुक वृषका, जन्मसमयमें हो तो एक हजार सखियोंमें मान्या संसारमें राजकन्या गुणवती होवै तथा विशेषतासे यह स्त्री राजाके घरकी स्वामिनी पुण्यकी लता होवै ॥ १० ॥
सप्तमे प्रत्येकग्रहफलानि । दिनपताविह कामनिकेतनं गतवति प्रवराप्यवरा
भवेत् ॥ जनुषि वल्लभभावविवर्जिता सुजनता.. रहिता वनिता भृशम् ॥ ११ ॥
जिसके जन्ममें सूर्य सप्तम हो वह श्रेष्ठाभी अश्रेष्ठा होजावे, पतिका प्रेम उसमें न होवे, अतिशय दुर्जनता करे, दुष्ट स्वभावा होवे कुटुम्बसेभी विरोधी रहे ॥ ११॥ .... ! . ।
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