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( ११ ) तो हम पूछेगे कि-पांच अथवा दश प्रकार की रेती (बालु) में से तेल की उत्पत्ति क्यों नहीं होती है । इललिये मानना पड़ेगा की कारण से विलक्षण कार्य नहीं होता है। यदि ऐसा कहा जाय कि 'कारण से विलक्षण कार्य उत्पन्न होता है, और उसके उदाहरण के वास्ते 'पानी से मोती की उत्पत्ति होती है । ऐसा बताया जाय, तो वह भी ठीक नहीं है। क्योंकि जौहरी की दुकान पर जाकर अनुभव करनेसे प्रतीत होगा कि-मोती का मूल्य उसके पानी पर ही निर्भर है। उससे भी, जैसा 'पानी' रूप कारण, वैसा ही कार्य सिद्ध हुआ। क्योंकि गुण कार्य में आते हैं, उससे ऐसा भी अनुमान हो सकता है कि-ज्ञान विज्ञानादि गुणोंवाला आत्मा कभी भी (किसी हालत में भी ) पांच जड़भूतों से बनाहुआ नहीं है।
अब पांचभूतों में से एक एक के द्वारा आत्मा की उत्पत्ति माननेवाले का सिद्धान्त भी स्वयं ही खंडित होता है । क्योंकि - जब पंचभूतों के समुदाय से 'आत्मा की उत्पत्ति' सिद्ध नहीं हुई, तो फिर, अमुक एक एक महाभूत से किस प्रकार उत्पत्ति सिद्ध हो सकेगी ? । यदि आवेश में आकर कोई उसी प्रकार से सिद्ध करने का प्रयत्न करे, तो पांच आत्मा माने जायेंगे। और ऐसा हुआ तो फिर किससे कार्य
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