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डाकी कुक्षि पघराये हैं यह बात कल्प सूत्र में सपा उनकी र व्याख्याओं और आवश्यक नियुक्ति भाष्य चूर्णि लघु रत्ति बहरत्ति विशेषावश्यक वृत्ति त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र प्राकृत वीर चरित्र वगैरह अनेक शास्त्रों में खुलासा पूर्वक लिखा है सो सत्र पाठ यहां पर लिखनेसे बहुत विस्तार हो जावे इस लिये सिर्फ कल्प सूत्रका मूल पाठ दिखाता हूं तथा हि
जेणेव जम्बूदीवे दीवे, जेणेव भारहेवासे, जेणेव माहणकुछग्गामे नयरे जेणेव उसमदत्तस्स गिहे, जेणेव देवाण दा माहणी, तेणेव उवागच्छइ, उवागविता आलोए समणस्स भगवओ महावीरस्स पणामं करेइ, देवाणदाए माहणीए सपरि जणाए मोसोवणि दल, ओसोवणि दलिता अमुभे पुग्गले अवहरइ सुमे पुग्गले परिकवड (२) ता, "अजाणउमे भयवं” तिकटु समण भगवं महावीरं अवाबाई अवाबाहेणं दिवण पहावेण करयल संपुडण गिगहहसमणं भयवं महावीरं (२) त्ता जेणेव खत्तिकएग्गामे नयरे जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तियस्स गिहे जेणे व तिशला खत्तियाणी, तेणेव उबागच्या, तेणेव उवागच्छिता तिशलाए सत्तियाणीए सपरि जणाए मोसोअणि दखइ, मोसोमणि दलित्ता, अशुभे पुग्गले अवारक असुभे, त्ता मुभे पुग्गले पक्खि वेश, सुमत्ता समण भगवं महापौर अवाबाह अवाबाहेक तिसलाए खत्तियाणीए गठन तंपिअण देवाण'दाए माहणीए जालन्धरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरा, साहरिता जामेक दिसिं पाउम्भूए तामेव दिसिं पहिगए, उक्किठाए तुरिआए चवलाए चण्डाए जवणाए उद्धआए सिग्घाए दिवाए देवगईए तिरसमसंखिज्जाण दीवसमुहाण मझ मझेण जोअणसास्सिएहि विगहेहि उपयमावे (२), जेणामेव सोहम्मे कप्पे सोहम्म वडिसए विमासे सक्कंसि सीहास सि सक्के देविंदे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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