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[ ११७ ] मूर्ति दूर करी अने संवत् १५२४ मा पोताना नामथी ओलखातो मत उभो कर्यो। (तद्वारके सं० १५०८ अहमदावादे लौडाख्येन लेखकेन प्रतिमा उत्थापिताः)
५८, जिनसमुद्र-पितादेकाशाह, माता देवणदेवी। गोत्र पारख, दीक्षा, सं० १५२१, पदस्थापना सं० १५३० माहा शुदी १३ मरण सं० १५५५ अहमदावादमां।
५९, जिनहंस-पिता शाह मेघराज माता कमलादेवी, गोत्र चोपडा, जन्म सं० १५२४ दीक्षा सं० १५३५, पदस्थापना सं० १५५५ अहमदावादमां, मरण सं० १५८२ पाटणमां थयु।
सं० १५६४ मा मरु देशमा छटो गच्छ भेद नामे आचार्यिक खरतर शाखा आचार्य शान्तिसागरे स्थापी।
६०, जिन माणिक्य-पिता शाह जीवराज, माता पद्मादेवी, गोत्र कुकडाचोपडा, जन्म सं० १५४९, दिक्षा सं० १५६०, पद स्थापना सं० १५८२ ना भाद्रपद वदि , मरण सं० १६१२ मा आषाढ़ शुदि पंचमीने दिने थयं।
६९, जिनचन्द्र-पिता शाह श्रीवन्त, माता सिरियादेवी, गोत्र रीहड, जन्म तिमरी नगर पामेना वडली ग्राममा संवत् १५८५, दिक्षा १६०४, सूरिपद जेसलमेरुमा सं० १६१२ ना भाद्रपद शुदी नवमीने दिने, तेमणे अकबर बादशाहने जैन धर्मी बनाव्या अम कहेवाय छे, तेमणे ९५ शिष्यों हता-समयराज, महिमाराज, धर्मनिधान, रत्ननिधान, ज्ञानविमल वगेरेह अने तेमनु मरण वेनातटे सं० १६७० ना आश्विन वदि बीजने दिने ययु। ___ सं० १६२१ मां भावहर्षोपाध्याये ७ मो गच्छमेद नामे भावहर्षीय खरतर शाखा स्थापी।
६२, जिनसिंह-पिता शाह चांपसी माता चतुरङ्गादेवी, गोत्र गणधरचोपडा, जन्म खेसर ग्राममा संवत् १९९५ ना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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