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[ 99 ] २ सुधर्मा-जन्म कोल्लाक ग्राममा, गोत्र अग्नि वैश्यायन, पिता धम्मिल, माता भहिला; गृहस्थपणे ५० वर्ष, छद्मस्थ तरीके ४२ वर्ष अने केवली तरीके आठ वर्षे रह्या. निर्वाण वीर पछी २० वर्षे १०० वर्षमी वये पाम्या।
३ जम्बू-जन्म राजगृहीमां, गोत्र काश्यप, पिता श्रेष्ठी ऋषभदत्त, माता धारिणी ; गृहस्थ तरीके १६ वर्ष, छद्मस्थ तरीके २० अने कवली तरीके ४४ वर्ष रह्या, निर्वाण वीर पछी ६४ वर्षे ८० वर्षनी वये पाम्या, आ छेल्ला केवली हता।।
४ प्रभव-गोत्र कात्यायन, पिता जयपुरना राजा विद्या गृहस्थपणे ३० वर्ष, सामान्य व्रती तरीके ४४ वर्ष (कोई ६४ कहे छे) अने आचार्य तरीके १९ वर्ष रह्या. मरण वीरना निर्वाण पछी १५ वर्षे, ८५ ( अथवा १०५) वर्षनी वये थयं।
५ सय्यम्भव-जन्म राजगृही, गोत्र वात्स्य ; तेमणे शांतिजिननी प्रतिमानां दर्शन करवायी जैन दीक्षा लीधी, पोताना पुत्र मनक वास्ते दशवैकालक सूत्र रच्यु, २८ वर्ष गृहस्थाश्रममां, ११ व्रती तरीके, अने २३ वर्ष आचार्य तरीके गाल्यां वीर पछी ८ वर्षे, ६२ वर्षनी वये पंचत्व पाम्या।
६ यशोभद्र-गोत्र तुंगीयायन, गृहस्थ पणे २२ वर्ष, व्रती तरीके १४ वर्ष, अने आचार्य तरीके ५० वर्ष रह्या. वीर पछी९४८ वर्षे ८६ वर्षनी वये मृत्यु पाम्या।
सम्भूति विजय अने तेना लघु गुरु भ्राता भद्रबाहु ।
७ सम्भूति-विजय गोत्र माढर, गृहस्थपणे ४२ वर्ष, व्रती तरीके ४०, युग प्रधान तरीके ८ गाल्यां अने वीर पछी १५६ वर्षे ० वर्षनी उमरे गत थया।
भद्रबाहु-गोत्र प्राचीन, तेमणे उपसर्गहरस्तोत्र, कल्पसूत्र, भने मावश्यक दवैकालिक बगैर १०शासत्रों पर निर्यक्तिमो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
स्व पाम्या।
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