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अचौर्य- अणुव्रत
जह
हो तब तक सुरक्षाके उद्देश्यसे उसे अपने अधिकार में रखनी पड़े वह दूसरी बात है ।
३ - राज्य - निषिद्ध वस्तुका व्यापार न करना ।
यह नियम दो प्रवृत्तियोंपर मुख्य रूपसे प्रतिबन्ध करता है । जिस वस्तुका व्यापार करनेमें राजकीय नियमके अनुसार लाईसेन्स लेना अनिवार्य है, अणुव्रती, बिना लाईसेन्स, चोरी रूप से तत्प्रकारकी वस्तुका व्यवसाय नहीं कर सकता। दूसरी बात, जो ठेकेके व्यवसाय हैं अर्थात् जिन व्यवसायोंके लिये राज व्यक्ति विशेषको ही अधिकार देता है, ऐसे व्यवसाय बिना राजकीय अधिकार पाये, अणुव्रती चोरी से नहीं
कर सकता ।
यहाँ यह जान लेना भी आवश्यक होगा कि प्रायः नशीली वस्तुओंके लिये ही ठेका देनेकी प्रथा है। नशीली जैसे - मद्य, अफीम, भांग, गांजा आदि। इनमें से मद्यके व्यवसायका निषेध तो नियम नम्बर १-१८ करता ही है । अतिरिक्त नशीली चीजोंके व्यवसायसे भी अणुव्रत दृष्टिको समझते हुए अणुव्रतीको बचना चाहिये ।
४ - राज्य निषिद्ध वस्तुको दूसरे देशमें ले जाकर या दूसरे देशसे • लाकर न बेचना ।
व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये मनुष्य सामूहिक स्वार्थको भुला देता है । राजकीय निषेध होते हुए भी प्रछन्नतया दूसरे देशमें ले जाकर माल बेचना इसी बात का सूचक है । इस तरहका व्यापार करनेवाला व्यक्ति राष्ट्र-धर्मका तो उल्लंघन करता ही है साथ-साथ अनेक प्रकारके मानसिक क्लेश भी अपने लिये पैदा करता है, जो कर्म बन्धनके प्रबल कारण हैं । उसका होश तो मारे डरके उड़ता रहता है, राजकीय व्यक्तियों यदि हाथ चढ़ जाता है तो प्रतिष्ठा और धन दोनोंसे हाथ धोना नीति के अनुसार इस नियम और इस प्रकारके अन्य राजकीय नियमोंका उल्लंघन नियमोंमें बाधक न होगा ।
नोट–राजनैतिक दल, विशेषकी निर्धारित
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