________________
Atmānusāsana
आत्मानुशासन
शक्ति न रहने से ही शेष रहा है। जैसे - राहु के मुख से शेष रहे सूर्य और चन्द्रमा।
In spite of your limitless craving, the sense-objects have escaped your mouth and remained in this world; this is due to the lack of your strength. It is akin to the parts of the sun and the moon that remain uncovered from the mouth of Rāhu*!
साम्राज्यं कथमप्यवाप्य सुचिरात्संसारसारं पुनः तत्त्यक्तवैव यदि क्षितीश्वरवराः प्राप्ताः श्रियं शाश्वतीम् । त्वं प्रागेव परिग्रहान् परिहर त्याज्यान् गृहीत्वापि ते मा भूभौतिकमोदकव्यतिकरं सम्पाद्य हास्यास्पदम् ॥४०॥
अर्थ - जिस किसी प्रकार से संसार के सारभूत साम्राज्य (सार्वभौम राज्य) को चिरकाल में प्राप्त करके भी यदि चक्रवर्ती उसे छोड़ने के पश्चात् ही अविनश्वर मोक्ष लक्ष्मी को प्राप्त हुए हैं तो फिर तुम त्यागने के योग्य उन परिग्रहों (विषयों) को ग्रहण करने के पहले ही छोड़ दो। इससे तुम परिव्राजक के लड्डू के समान विषयों का सम्पादन करके हास्य के पात्र न बनो।
Even the 'king-of-kings' (cakravarti) who attains, after a long time and great effort, lordship over the entire world
* Rāhu, in Indian texts, is one of the nine major astronomical bodies (navagraha). It causes lunar and solar eclipses.
.......................
36