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mmmmmmmmnास्ताननां रैन भहिरो mmmmmmmmm તે સમયે તેઓએ હિન્દી ભાષામાં શ્રી ગોડી પાર્શ્વનાથની સ્તુતિ કરી હતી, જેમાં તેઓએ यात्रा ज्यानो Bed यो छे. यथा -
पारकर देशे श्री गोडी पाश्र्वनाथ का स्तवन (आदि) भाग्यवश आसफली आज जागया है मुझ पूरब पुण्य के ॥1॥
पारकर मंडन भेटताँ । अवतार जेह थयो मुझ धन्य के (अंत) संवत अठारे तेत्रीस में । फागुन वद है द्वादशी शनिवार के ॥7॥ फतेविजय कहे रंगस्यूं । गोड़ी भेट्यौ है हुओ जय-जयकार के
(यति रामचन्द्र लिपिकृतं वि.सं. 1864)न
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