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श्री श्रमणसंघ के प्रमुख
आचार्यसम्राट डॉ. शिवमुनि जी महाराज
'वीरान विरासतें' ग्रंथ में पाकिस्तान स्थित प्रायः सभी जैन मंदिरों, स्थानक व दादावाड़ियों के सचित्र विवरण ने इस ग्रंथ को एक ऐतिहासिक दस्तावेज बना दिया है। वैभवशाली प्राचीन धरोहरों की वर्तमान में अपेक्षित व जर्जर दशा देखकर दुःख भी होता है।
रावलपिंडी, सियालकोट, मुलतान व लाहौर के भव्य व विशाल स्थानक अब केवल यादों की कहानी मात्र हैं। तथा पसरूर में परम उपकारी मुनि श्री खज़ानचंदजी की समाधि भी इन 70 साल में, अब वहाँ हज़रत बाबा खजांची सरकार' की कब्र कहलाने लगी है।
ग्रंथ 'वीरान विरासतें' अपने आप में एक प्रमाणक, महत्त्वपूर्ण व उपयोगी शोध-प्रबंध हो गया है। देश के स्कॉलरों तथा विश्वविद्यालयों में इसका समुचित प्रचार होना चाहिए।
- डॉ. शिवमुनि
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