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________________ प्र. 29. 'तस्सउत्तरी' पाठ का दूसरा नाम क्या है? उत्तर 'तस्सउत्तरी' पाठ को 'उत्तरीकरण सूत्र' एवं 'आत्म-शुद्धि का पाठ भी कहते हैं। प्र. 30. 'तस्सउत्तरी' के पाठ का क्या प्रयोजन है? उत्तर 'तस्सउत्तरी' के पाठ से साधक कायोत्सर्ग करने की प्रतिज्ञा करता है, जिससे वह आत्मा को शरीर की आसक्ति से पृथक् कर (आत्मा को) कषायों से मुक्त कर सके। प्र. 31. कायोत्सर्ग की क्या काल मर्यादा है? उत्तर कायोत्सर्ग की कोई निश्चित काल मर्यादा नहीं है। इसकी पूर्ति 'णमो अरिहंताणं' शब्द बोलकर की जाती है। कायोत्सर्ग काया को स्थिर करके, मौन धारण करके और मन को एकाग्र करके किया जाता है। प्र. 32. कायोत्सर्ग के कितने आगार हैं? उत्तर कायोत्सर्ग के 1. ऊससिएणं, 2. नीससिएणं, 3. खासिएणं, 4. छीएणं, 5. जंभाइएणं, 6. उड्डएणं, 7. वायनिसग्गेणं, 8. भमलीए, 9. पित्तमुच्छाए, 10. सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, 11. सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं और 12. सुहुमेहिं दिट्ठि-संचालेहिं, ये 12 आगार हैं। प्र. 33. 'तस्सउत्तरी' पाठ में 'अभग्गो-अविराहिओ' का क्या अर्थ है? उत्तर तस्स उत्तरी के पाठ में 'अभग्गो' का अर्थ है-काउस्सग्ग खण्डित नहीं होना और अविराहिओ का अर्थ है-काउस्सग्ग {97} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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