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भंग नहीं होना। काउस्सग्ग में आंशिक विराधना न होना 'अभग्गो'
तथा सर्व विराधना न होना 'अविराहिओ' कहलाता है। प्र. 34. 'लोगस्स' पाठ क्या प्रयोजन है? उत्तर "लोगस्स' पाठ में भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर
तक चौबीस तीर्थङ्करों की स्तुति की गई है। ये हमारे इष्टदेव हैं। इन्होंने अहिंसा और सत्य का मार्ग बताया है। इनकी भाव
पूर्वक स्तुति करने से जीवन पवित्र और दिव्य बनता है। प्र. 35. 'लोगस्स' पाठ का दूसरा नाम क्या है? उत्तर 'लोगस्स' पाठ का दूसरा नाम 'उत्कीर्तन सूत्र' और
'चतुर्विंशतिस्तव' है। प्र. 36. 'करेमि भंते' पाठ का क्या प्रयोजन है? उत्तर 'करेमि भंते' पाठ से सभी पापों का त्याग कर सामायिक व्रत
लेने की प्रतिज्ञा की जाती है। इसे सामायिक-प्रतिज्ञा सूत्र भी
कहते हैं। प्र. 37. सामायिक से क्या लाभ है? उत्तर सामायिक द्वारा पापों के आस्रव को रोककर संवर की आराधना
होती है और सामायिक काल में स्वाध्याय करने से कर्मों की
निर्जरा होती है। प्र. 38. सामायिक का क्या फल बताया गया है? उत्तर दिवसे दिवसे लक्खं, देइ सुवण्णस्स खंडियं एगो।
इयरो पुण सामाइयं, न पहुप्पहो तस्स कोई।। बीस मन की खण्डी होती है। ऐसी लाख-लाख खण्डी सुवर्ण,
{98} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र