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अहयंपि सव्वस्स जीव-रासिस्स भावओ धम्मं निहिय-नियचित्तो सव्व खमावइत्ता खमामि
मैं भी। सभी। जीव राशि से। भाव से। धर्म में चित्त को स्थिर करके। सबको। खमा करके। खमाता हूँ, क्षमा चाहता हूँ।
खामेमि सव्वे जीवा सव्वे जीवा खमंतु
क्षमापना पाठ
क्षमा चाहता हूँ। सब। जीवों की। सभी। जीव। क्षमा करो। मुझको। मित्रता है।
मित्ति
मेरी।
सव्व भूएसु
वेरं
मज्झं
सभी प्राणियों से। शत्रुता। मेरी। नहीं। किसी के साथ। इस प्रकार मैं। आलोचना करके।
केणइ एवमहं (एवं अहं) आलोइय
{83} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र