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________________ वंदामि जिण-चउव्वीसं वन्दना करता हूँ। चौबीस तीर्थंकरों को। आयरिय उवज्झाए का पाठ आयरिय आचार्यों के प्रति। उवज्झाए उपाध्यायों के प्रति। सीसे शिष्यों के प्रति। साहम्मिए साधर्मिकों के प्रति । कुल एक आचार्य का शिष्य समुदाय के प्रति । गणे य गण समूह पर के प्रति। जो। मैंने। केई कुछ। कसाया क्रोध आदि कषाय किया हो तो। सव्वे सबको। तिविहेणं तीन योग (मन, वचन, काया) से। खामेमि खमाता हूँ। क्षमा चाहता हूँ। सव्वस्स (इसी प्रकार) सभी। समण-संघस्स श्रमण-संघ-साधु समुदाय (चतुर्विध संघ) भगवओ भगवान को। अंजलिं करिअ दोनों हाथ जोड़ करके। सीसे शीश पर लगा कर। सव्वं सबको। खमावइत्ता खमा करके। खमामि खमाता हूँ, क्षमा चाहता हूँ सव्वस्स सबको। {82} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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