________________
सामायिक ग्रहण के पश्चात् समापन के काल तक की क्रिया - अध्ययन, स्वाध्याय, ध्यान, जप आदि करना, माला व आनुपूर्वी फेरना तथा प्रार्थना, स्तवन आदि बोलना एवं प्रवचन सुनना ।
सामायिक साधना समापन विधि - सामायिक सम्बन्धी दोष निवारणार्थ चउवीसत्थव करने की आज्ञा है । फिर नवकार मन्त्र, इच्छाकारेणं, तस्स उत्तरी के पाठ में 'झाणेणं' तक बोलकर 'एक लोगस्स का काउस्सग्ग' ऐसा बोलकर अप्पाणं वोसिरामि बोलने के साथ विधिवत् एक लोगस्स का काउस्सग्ग करें, फिर लोगस्स पूर्ण होने पर ‘नमो अरिहंताणं' ऐसा कहकर काउस्सग्ग पालें, बाद में कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ व लोगस्स का पाठ बोलकर विधिपूर्वक दो बार नमोत्थु णं देवें, बाद में सामायिक पारने व अन्य दोष निवारण हेतु निम्नलिखित पाठ बोलें ।
1.
9. एयस्स नवमस्स का पाठ ( सामायिक समापन सूत्र )
एयस्स नवमस्स सामाइय- वयस्स, पंच अइयारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा ते आलोउंमणदुप्पणिहाणे, वयदुप्पणिहाणे, कायदुप्पणिहाणे, सामाइयस्स सइ अकरणया, सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
{6} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र