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1. गुरु वन्दना सूत्र
तिक्खुत्तो, आयाहिणं, पयाहिणं, करेमि, वंदामि, नम॑सामि, सक्कारेमि, सम्माणेमि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं, पज्जुवासामि, मत्थएण वंदामि ।
इसके बाद ईर्यापथिक चउवीसत्थव की आज्ञा लेवें ।
2. नवकार महामंत्र
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व - साहूणं ॥ एसो पंच- णमोक्कारो, सव्व-पावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ।। 3. इर्यापथिक सूत्र
इच्छाकारेणं संदिसह भगवं ! इरियावहियं पडिक्कमामि इच्छं! इच्छामि पडिक्कमिउं। इरियावहियाए विराहणार गमनागमणे पाणक्कमणे, बीक्कमणे, हरियक्कमणे, ओसा, उत्तिंग, पणग, दग, मट्टी, मक्कडा, संताणा संकमणे जे मे जीवा विराहिया एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया अभिया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छा मि' दुक्कडं।
1. प्रचलित प्रयोग "मिच्छामि दुक्कडं” को मिच्छा मि के रूप में देने का अभिप्राय “मिच्छामि” के अर्थ को स्पष्ट करना है। साथ ही व्याकरण की दृष्टि से भी “मिच्छा मि” प्रयोग समीचीन प्रतीत होता है। 'मिच्छा' का अर्थ है-मिथ्या एवं 'मि' का अर्थ है मेरा |
{2} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र