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सविधि सामायिक सूत्र
सामायिक-साधना करने की विधि सबसे पहले पूँजनी से स्थान को पूँज कर व आसन की प्रतिलेखना करके आसन को बिछावें। बाद में सफेद चोल-पट्टा, दुपट्टा, मुँहपत्ति आदि सामायिक की वेशभूषा की प्रतिलेखना कर उसको धारण करें व मुँहपत्ति मुँह पर बाँधे । तत्पश्चात् गुरुदेव या सतियाँ जी हों तो उनकी ओर मुँह करके और नहीं हों तो पूर्व दिशा, उत्तर दिशा अथवा ईशान कोण की तरफ मुँह करके निम्न पाठ से तीन बार विधिवत् वन्दना करें।
वन्दना विधि-तिक्खुत्तो का पाठ बोलते तिक्खुत्तो शब्द के उच्चारण के साथ ही दोनों हाथ ललाट के बीच में रखने चाहिए। आयाहिणं शब्द के उच्चारण के साथ अपने दोनों हाथ अपने मस्तक के बीच में से अपने स्वयं के दाहिने (Right) कान की ओर ले जाते हुए गले के पास से होकर बायें (Left) कान की ओर घुमाते हुए पुन: ललाट के बीच में लाना चाहिए। इस प्रकार एक आवर्तन पूरा करना चाहिए। इसी प्रकार से पयाहिणं और करेमि शब्द बोलते हुए भी एक-एक आवर्तन पूरा करना, इस प्रकार तिक्खुत्तो का एक बार पाठ बोलने में तीन आवर्तन देने चाहिए। बाद में घुटनों के बल बैठकर वंदामि बोलें तथा पंचांग (दोनों हाथ, दोनों घुटने व एक सिर) नमाकर नमसामि बोलें। बाद में घुटनों के बल सीधे बैठकर पज्जुवासामि तक बोलें, फिर 'मत्थएण वंदामि' शब्दोच्चारण के साथ ही जोड़े हुए दोनों हाथ एवं मस्तक गुरु-चरणों में अथवा जमीन पर झुकावे।
{1} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र