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5. धर्म स्थान में या धर्म क्रिया करते समय विकथा नहीं करनी चाहिए। 6. धार्मिक कार्यों में छल कपट सहित नहीं बोलना चाहिए। 7. जहाँ तक हो सके हित, मित, सत्य और प्रिय वचन बोलने का
अभ्यास करना चाहिए। 8. जिस बात का पक्का प्रमाण न हो ऐसी बात नहीं बोलनी चाहिए। निम्नोक्त मुख्य 14 कारणों से झूठ बोला जाता है
1. क्रोध 2. मान 3. माया 4. लोभ 5. राग 6. द्वेष 7. हास्य 8. भय 9. लज्जा 10. क्रीड़ा 11. हर्ष 12. शोक 13. चतुराई और 14. बहुत बोलना। अतः बोलते समय विवेक रखना चाहिए। एक झूठ से सब सद्गुण ढ़क जाते हैं। इस भव में झूठे को लोग गप्पी, लबाड़, लुच्चा, ठग धूर्त आदि नामों से पुकारते हैं। पर भव में गूंगा, बावला, कटुभाषी, तोतला, दुर्गन्धित मुखवाला होता है। ऐसा
समझकर झूठ का त्याग करना चाहिए। तीसरा स्थूल
अदत्तादान विरमण व्रत अचौर्य अणुव्रत की प्रतिज्ञा ___ द्रव्य से-मैं ऐसी चोरी नहीं करूंगा/करूँगी और न करवाऊँगा/ करवाऊँगी जिससे राजदण्ड मिले या पंचों में अपमान हो। क्षेत्र सेमर्यादित क्षेत्र के बाहर की वस्तुओं को नहीं अपनाऊँगा/अपनाऊँगी। काल से-जीवन पर्यन्त इस प्रकार की चोरी का त्याग करता हूँ/करती हूँ। भाव से-मैं मन वचन काया से उक्त प्रकार की चोरी न करूँगा/ करूँगी और न करवाऊँगा/करवाऊँगी।
अदत्तादान विरमणव्रत के अतिचार (दोष) 21. तेनाहडे-चोर की चुराई वस्तु को लोभवश अल्प मूल्य से खरीदना।