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9. वनस्पति में संवेदनशीलता
यह सर्वविदित है कि संवेदनशीलता जीव में ही होती है, अजीव में नहीं। अत: जिसमें संवेदनशीलता है, वह जीव है। इस दृष्टि से पौधे भी जीव हैं, क्योंकि पौधों में भी असाधारण संवेदनशीलता होती है। यह तथ्य वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है। न्यूयार्क के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कल्यू-वेक्स्टर ने सन् 1966 में ड्रकेना मेसिजियाना के पौधे की शाखा को पोलीग्राफ लाईडिटेक्टर के संवेदनशील तार से जोड़ दिया। जैसे ही पौधे की जड़ों में जल डाला गया, संवेदन मापक गेल्वेनोमीटर में गति उत्पन्न हो गई। यह गति पौधे को हुई सुखद अनुभूति को व्यक्त कर रही थी। दूसरे प्रयोग में उसने पौधे को जलाने की बात सोची, उसने देखा कि गेल्वेनोमीटर की सुई बहुत तेजी के साथ गति कर रही थी, जो भय की द्योतक थी। यह तब घटित हुआ जब पौधे को जलाने की बात ही मन में उठी थी, तीली भी नहीं जलाई थी। इससे यह बात सामने आ गई कि पौधा भी मन की बात को समझ लेता है। फिर कुछ समय पश्चात् पौधे को डराने के लिए तीली जलाकर वह इसकी ओर बढ़ा, परंतु मन में जलाने का इरादा नहीं था। तब गेल्वेनोमीटर की सुई को देखा तो उसमें कोई गति नहीं थी। जो पौधा पहले भय से काँप रहा था अब वह शांत था। इससे यह तथ्य सामने आया गया कि पौधे में मन की बात को समझने की गहरी क्षमता होती है।