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________________ जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य सिंहों को आप केलिफोर्निया प्रांत या साइबेरिया भेज दीजिये। वे अपनी हिंसक वृत्ति भूल जायेंगे और गाय-बकरी की भाँति पालतू बन जायेंगे।'' अमेरिका के भू-वैज्ञानिक ‘डॉ. चार्ल्स कैलाग' अमेरिकी गृहयुद्ध का कारण 'भूमि' को ही मानते हैं। उत्तर अमेरिका की भूरी मिट्टी वाली वनस्थली, जहाँ जाकर लाल-पीली होना आरंभ करती है वही उत्तर और दक्षिण की वास्तविक सीमा है। इन दो भूमियों में सदैव संघर्ष एवं स्पर्धा चली है। इसका ही एक उदाहरण है कि अब्राहम लिंकन को उत्तरी भूमि के खिलाफ दक्षिण भाग से ही सैनिक मिले थे। नीत्से ने जर्मनी की धरती को तो 'प्रचंड चंडिका' ही कहा है। इतिहास साक्षी है कि यह धरती अनेक बार युद्ध भूमि बनी है। बिस्मार्क इसी भूमि का भौगोलिक नियामक था। __ भूमि के स्वभाव का प्रभाव मानव-स्वभाव पर कितने आश्चर्यजनक रूप से पड़ता है, इस संबंध में एक ऐतिहासिक घटना उल्लेखनीय है। भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मातृ-पितृभक्त ‘श्रवणकुमार' कावड में बैठाकर अपने माता-पिता को उनकी धार्मिक जिज्ञासा पूरी करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान में तीर्थ-यात्रा करा रहा था। मार्ग में एक प्रदेश आया, जिसे 'जहाजपुर' कहते हैं। इस प्रदेश में प्रवेश करते मातृ-पितृ भक्त श्रवण के अंत:करण में एक विचित्र विचार उठा-मैं इन हाड़-मांस के पिंजरों को लिए स्वयं ही क्यों वन-वन खाक छानता फिरूँ? क्यों अपने जीवन को मिट्टी में मिलाऊँ..... आदि आदि। उसने अपने माता-पिता को आगे ले जाने से स्पष्ट इंकार कर दिया। माता-पिता विज्ञ थे, उन्होंने श्रवण के मन में एकाएक हुए इस परिवर्तन का कारण ‘भूमि के स्वभाव' 1. नवनीत, अक्टूबर, 1955
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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