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________________ अजीव तत्त्व का स्वरूप ___ तत्पश्चात् 'पुद्गल की विशिष्ट पर्याय' प्रकरण में पुद्गल का वर्णन करते हुए कहा है सबंधयार उज्जोओ, पभा छायाऽऽतवो इ वा। वण्णरसगंधफासा, पुग्गलाणं तु लक्खणं॥ -उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन 28, गाथा 12 अर्थात् शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण, रस, गंध और स्पर्श, ये सब पुद्गल के लक्षणों का विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में विस्तार से विवेचन किया गया है ध्वनि के विविध उपयोग, चिकित्सा में उपयोग, छाया चित्रांकन में उपयोग कपड़े धोने में उपयोग, इलेक्ट्रॉनिक उपयोग, तीन प्रकार के शब्द, अजीव शब्द रेत का गीत गाना आदि शब्द की गति, भाषा के भिन्न और अभिन्न रूप, तम और छाया, प्रभा, उद्योत, आतप आदि विस्तार से वैज्ञानिक निरूपण है। ___जीव तत्त्व में-1. धर्मास्तिकाय-ईथर, 2. अधर्मास्तिकायगुरुत्वाकर्षण आदि, 3. आकाशास्तिकाय, 4. कालद्रव्य-इन चारों का विवेचन विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में पुद्गलद्रव्य का वर्णन दिया गया है। जिसका वर्णन अग्र प्रकार से है इसमें विज्ञान की दृष्टि में पुद्गल द्रव्य एवं तत्त्व, स्कंध-देशप्रदेश, परमाणु के स्कन्ध के भेद अतिस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म एवं अति सूक्ष्म ये छह भेद बताए हैं । परमाणु का वैज्ञानिक रूप, पुद्गल शक्ति, पुद्गल बंध, द्रव्य, गुण, पर्याय, पुद्गल के गुण वर्ण, गंध, रस, स्पर्श।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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