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________________ पुद्गल द्रव्य 241 ब्रह्माण्ड में प्रत्येक द्रव्य-कण दूसरे कणों को सदैव आकर्षित करता रहता है, वह सर्वव्यापी नियम है। इसे गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। यह गुरुत्वाकर्षण बल द्रव्यमान के समानुपाती होता है। चुम्बक किसी भी अणु का स्वाभाविक गुण है। हम किसी चुम्बक में चुम्बकत्व उत्पन्न नहीं करते हैं केवल उसे प्रकट करते हैं। अणु तथा परमाणु में यह चुम्बकीय शक्ति उसके भीतर विद्युत् आवेशित कणों की गति के कारण होती है। उससे यह सिद्ध होता है कि स्निग्धता-रूक्षता (धनात्मक-ऋणात्मक विद्युत् शक्ति) सूक्ष्मतम परमाणु से लेकर स्थूलतम ठोस द्रव्य में सर्वत्र विद्यमान है। चार स्पर्शी स्कंध और आठ स्पर्शी स्कंध स्पर्श गुण के उपर्युक्त आठ प्रकार विज्ञान जगत् व व्यावहारिक जीवन में सर्वत: मान्य हैं। परन्तु जैनदर्शन स्पर्शों की अपेक्षा पुद्गल स्कंधों का वर्गीकरण दो प्रकार से करता है-(1) चार स्पर्शी स्कंध और (2) आठ स्पर्शी स्कंध। आठ स्पर्शी स्कंध में उपर्युक्त आठों स्पर्श ही पाये जाते हैं परंतु चार स्पर्शी स्कंधों में स्निग्ध, रूक्ष, शीत, उष्ण ये चार स्पर्श ही पाये जाते हैं। _ विज्ञान के आविष्कारों के पूर्व चार स्पर्शी स्कंध रचना को समझना अशक्य-सा ही था। परंतु विज्ञान ने ‘पदार्थ ही शक्ति का रूप धारण करता है' यह तथ्य प्रस्तुत कर दिया है और इस तथ्य से जैनदर्शन द्वारा प्रतिपादित ‘चार स्पर्शी स्कंध' को सहज ही में समझा जा सकता है। शक्ति द्रव्य का ही रूपान्तर है। अत: विद्युत् की लहरें चाहे वे रेडियों की हों या टेलीविजन की अथवा गुरुत्वाकर्षण शक्ति की हों या विद्युत् चुम्बकीय शक्ति की हों, सब लहरें शक्ति का रूप हैं, दूसरे शब्दों में यह सब पुद्गल-द्रव्य के ही रूप हैं। अत: भार (द्रव्यमान) की दृष्टि
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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