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________________ 222 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य नये अनुसंधान ने यह प्रमाणित किया है कि शक्ति का अपना अलग वजन होता है, यद्यपि वह बहुत ही स्वल्प होता है। उदाहरण के लिए यदि कोई 50,000 टन वजन का जहाज एक घण्टे में 25 मील की गति से चलता है, तो अपनी इस गतिशील अवस्था में उसका वजन केवल एक औंस का दस लाखवाँ हिस्सा बढ़ जाता है अर्थात् उसकी गतिशीलता का वजन बढ़ता है। एक मनुष्य अपने सम्पूर्ण जीवन काल में जो-जो श्रम करता है उसके फलस्वरूप उसका वजन केवल एक औंस का 60 हजारवाँ भाग बढ़ जाता है।' अब हम शक्ति उत्पन्न करने के लिए विविध तरंगों का अवलोकन करें। पहले हम सामान्य कोयले के जलने की प्रक्रिया को लें। इसमें कार्बन के स्कन्धाणुओं का ऑक्सीजन के स्कन्धाणुओं के साथ मिलन होता है। अत: कार्बन-ऑक्सीजन = कार्बन ओक्साइड + शक्ति। कार्बन और ऑक्सीजन के एक ग्राम मिश्रण से 920 केलोरी शक्ति प्राप्त होती है। अब यदि जलने की क्रिया के स्थान में हम कार्बन और ऑक्सीजन के अणु परस्पर मिलायें तो कार्बन (12)-ऑक्सीजन (16)-सिलिकोन (28) + 'शक्ति'। इस प्रक्रिया में जो शक्ति मुक्त होगी, वह एक ग्राम मिश्रण से 1400 करोड़ केलोरी होगी, जो कि पूर्वोक्त प्राप्त शक्ति की अपेक्षा डेढ़ करोड़ होगी। यहाँ यह भूलना नहीं चाहिये कि सामान्य रासायनिक प्रक्रिया में स्कंधाणुओं का मिलन जहाँ कुछ सौ डिग्री तापमान में किया जा सकता है, वहाँ अणुओं के मिलन की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए करोड़ों डिग्री तापमान की आवश्यकता होगी।' 1. नवनीत, नवम्बर 1955, पृष्ठ 31 2. केलोरी उष्णता मापने का एक माप है, एक ग्राम पानी का तापमान 1 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ाने के लिए __ जितनी उष्णता की आवश्यकता होती है, उसे 1 केलोरी कहा जाता है। 3. द्रष्टव्य, जैन भारती, 26 फरवरी 1967, पृष्ठ 202
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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