SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुद्गल द्रव्य 207 जिसका भार चार अंश था। फलस्वरूप पारे का भार दो सौ एक अंश में से चार अंश घटने से एक सौ सतानवे अंश हो गया। एक सौ सतानवे अंश भार वाला स्कंधाणु या पदार्थ हो तो वह सोना होता है। इसी प्रकार सन् 1953 में प्लेटिनम को सोने में रूपांतरित करने में अनेक प्रयोगशालाओं ने सफलता प्राप्त की है। ___(3) यूरेनियम विज्ञान जगत् में एक बहुमूल्य, सुप्रसिद्ध एवं रेडियो सक्रिय धातु है। जब यह धातु अपनी किरणों द्वारा तीन अंश भार खो देती है तो वह अपने तीन अंश कम भार वाले पदार्थ रेडियम धातु के रूप में परिवर्तित हो जाती है। रेडियम भी रेडियो सक्रिय धातु है अत: इससे भी सतत किरणें निकला करती हैं और जब यह अपनी किरणों द्वारा पाँच अंश खो देती है तब रेडियम न रहकर अपने से पाँच अंश कम वाली शीशा धातु का रूप ले लेती है। तात्पर्य यह है कि आधुनिक वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों द्वारा जैन दर्शन के इस सिद्धांत को पूर्ण पुष्ट कर दिया है कि विश्व के विविध भौतिक पदार्थों का निर्माण पुद्गल स्कंधों के पूरण व गलन गुण के ही परिणाम स्वरूप हुआ है। जैन दार्शनिक किसी भी तत्त्व को समझाने के लिए विविध विवक्षाओं से अनेक प्रकार के भेद-प्रभेद करके उस पर प्रकाश डालते हैं। पुद्गल या स्कंध पर भी यह बात घटित होती है। सूक्ष्मता और स्थूलता को लेकर स्कंध के छह भेद किए गए हैं, यथा अइथूल थूल-थूल सुहुमं सुहुमथूलं च। सुहुमं अइसुहुमं इदि धरादियं होदि छन्भेयं। -नियमसार, 21
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy