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________________ कालद्रव्य 195 के निर्माण की संभावना है। अत: एक आवलिका में असंख्यात समय होते हैं, इसमें अब आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं रह गई है। समय की सूक्ष्मता का कुछ अनुमान गति व लम्बाई के उदाहरण से भी लगाया जा सकता है। लम्बाई का प्रतिमान मीटर (वार) है। परंतु सन् 1960 ईस्वी में लम्बाई के प्रतिमान मीटर का स्थान क्रिप्टन 86 नामक दुर्लभ गैस से निकलने वाली नारंगी रंग के प्रकाश के तरंग आयामों की निर्दिष्ट संख्याओं ने ले लिया है। अतः अब एक मीटर क्रिप्टन के 16,50,763.73 तरंग आयामों के बराबर होता है। प्रकाश-किरण की गति एक सैकेण्ड में 3,00,000 किलोमीटर है। एक किलोमीटर में 1,000 मीटर होते हैं। अत: प्रकाश किरण एक सैकेण्ड में 3,00,000 x 1,000 x 16,50,763.73 = 49,52,29,11,90,00,00,000 क्रिप्टन आयामों के बराबर चलता है। अत: उसे एक आयम को पार करने में लगभग एक सैकेण्ड का शंखवाँ भाग लगता है और टेलीपैथी विशेषज्ञों का कथन है कि मन की तरंगों की गति आकाश की गति के कितने ही गुना अधिक है। अत: मन की तरंग को क्रिप्टन के एक आयाम को पार करने में तो सैकेण्ड के शंखवें भाग से भी कितने ही गुना अधिक कम समय लगता है। अतः एक सैकेण्ड में असंख्यात समय होते हैं यह कथन युक्तियुक्त प्रमाणित होता है। समय की सूक्ष्मता का कुछ अनुमान व्यावहारिक टेलीफोन से भी लगाया जा सकता है। कल्पना कीजिए कि आप दो हजार मील दूर बैठे हुए किसी व्यक्ति से टेलीफोन पर बात कर रहे हैं। आपकी ध्वनि विद्युत् तरंगों में परिणत होकर तार के सहारे चलकर दूरस्थ व्यक्ति तक पहुँचती है और उसकी ध्वनि आप तक। इसमें जो समय लगा वह इतना कम है कि आपको उसका अनुमान नहीं हो रहा है और ऐसा लगता है मानो कुछ
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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