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________________ 150 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य है इस दबाव से शरीर में संचित जल एक बारीक छिद्र से तेजधार के रूप में बाहर निकलता है। इस धार के कारण यह जल में बहुत तेज गति से विरोधी दिशा में बढ़ता है। विद्युत् मछली-विद्युत् शक्ति का विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा महत्त्व है। उत्तरी अमेरिका की नदियों में सर्प के आकार की ईल मछली होती है, जो संकट के समय एक मिनिट में कई बार पाँच सौ वोल्ट से अधिक विद्युत् छोड़ सकती है। जबकि हम घरों में जो विद्युत् जलाते हैं वह दो सौ बीस वोल्ट शक्ति की होती है। एरियल एडमिरल-रेड़ियों और टेलीविजन में एरियल या एण्टीना का उपयोग होता है। एडमिरल तितली जो लाल रंग की होती है, उसके सिर पर सींग के जैसे दो अंग होते हैं। ये अंग वही काम करते हैं, जो एरियल करता है। ___ कटार टिंगर-सुरक्षा के लिए लोग चाकू, छुरी आदि रखते हैं, इसी प्रकार टिंगर मछली भी अपने सिर में लगी हुई छुरी का उपयोग करती है। जब कोई समुद्री जीव उस मछली को निगलने की चेष्टा करता है तो यह मछली सिर में स्थित छुरी को बड़ी शक्ति से बाहर निकालती है। तेज और नुकीली छुरी उस आक्रमणकारी जीव का गला काट देती है। यह छुरी इतनी मजबूत होती है कि नावों के पैंदों में भी छेद कर देती है। विषदर्शी-मक्खी-बिच्छु, मधुमक्खियाँ अपने दंश को शत्रु के शरीर में प्रवेश कर अपना विष छोड़ती है, जो शत्रु के शरीर में फैलकर सारे शरीर में पीड़ा उत्पन्न कर देता है। मानव ने इसी से शिक्षा ग्रहण कर सुई में दवा भरकर शरीर में इंजेक्शन लगाना सीखा है।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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