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________________ वनस्पति में संवेदनशीलता 123 वनस्पतिविज्ञान के नवीन अनुसंधान ने यह सिद्ध कर दिया है कि अन्य प्राणियों के समान वनस्पति में भी माया प्रकृति पायी जाती है। जिस प्रकार मायावी पुरुष पहले से मिष्ट वचन व शिष्ट व्यवहार से दूसरे पुरुष को अपने प्रेम-पाश में फाँस लेता है और फिर धोखा देकर उसका सर्वस्व छीन लेता है, इसी प्रकार वनस्पतियाँ भी दूसरों को अपने माया जाल में फाँसने में निपुण होती हैं। ऐसी ही वनस्पतियों में से कुछ के उदाहरण यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं। मलाया में 'फिगस रुबी जिनोसा' नामक विशाल वृक्ष पाया जाता है। यह अंजीर-जाति का वृक्ष होता है। यह बड़ा मायावी होता है। पहले यह अपने पड़ौसी पेड़-पौधों को बड़े प्रेम से गले लगाता है। फिर उनका रस चूसकर लकड़ियों को फेंक देता है। यहाँ के निवासी इन वृक्षों को देव रूप मानते हैं। मायावी मनुष्य बड़े कुटिल होते हैं। वे बाहरी व्यवहार से तो बड़े सीधे-सादे, भोले-भाले लगते हैं, परंतु जो इनके चंगुल में फँस जाता है उसे दुरंत दुःख भोगना पड़ता है। इसी प्रकार की कुछ वनस्पतियाँ भी हैं। उनमें से एक 'जीनस लापोर्टिया' भी है। यह न्यूसाउथवेल्स तथा क्वींस लैण्ड के घने वनों में पायी जाती है। इसके दैत्याकार वृक्ष की ऊँचाई 8090 फुट होती है। इसके पत्ते हृदय के आकार के तथा एक फुट से भी अधिक लंबे होते हैं। इन पत्तों में भूरे रंग के रेशेदार जहरीले काँटे होते हैं। देखने में यह वृक्षे बड़े सीधे-सादे लगते हैं। परंतु भूल से कोई पशुपक्षी या मनुष्य इन पत्रों से छू भी जाय तो उसे कुछ दिन तक मर्मांतक वेदना सहन करनी पड़ती है। इसलिए इनको वहाँ के निवासी 'टच मी नाट' मुझे मत छुओ, इस नाम से पुकारते हैं।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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