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[दशवैकालिक सूत्र (दोच्चे) दुच्चे भंते ! ............. मुसावायाओ वेरमणं । हे भगवन् ! मैं दूसरे महाव्रत में उपस्थित हुआ हूँ, अब सर्वथा मृषावाद से निवृत्ति करता हूँ।
भावार्थ-मृषावाद दूसरा अधर्म द्वार है। इसको खुला रखने से अन्यान्य पाप भी आसानी से प्रविष्ट होते रहते हैं। अत: पाप-प्रवृत्ति को कम करने के लिये दूसरे महाव्रत में मृषावाद का विरमण किया जाता है। इस व्रत के लिये साधु यह प्रतिज्ञा करता है कि छोटा-बड़ा सहेतुक या अहेतुक किसी भी प्रकार का, मैं मिथ्या भाषण करूँगा नहीं, करवाऊँगा नहीं, मृषा भाषण का अनुमोदन भी करूँगा नहीं, तीन करण और तीन योग से जीवन भर के लिये । अज्ञानवश जो पहले मृषा भाषण किया है, उसके लिये प्रतिक्रमण करता हूँ। आत्मसाक्षी से उस पाप की निन्दा और गुरु-साक्षी से गर्दा करता हूँ एवं पापकारी आत्मा को उससे व्युत्सर्ग (पृथक्) करता हूँ।
'सत्यमहाव्रती' अन्यान्य सद्गुणों का आश्रयधाम बन जाता है। शास्त्र में कहा है कि-"सच्चं लोगम्मि सारभूयं” अर्थात् सत्य लोक में सारभूत है । सत्य के शास्त्रों में-भाव सत्य 1, करण सत्य 2, योग सत्य 3, ऐसे तीन भेद किये गये हैं। परन्तु यहाँ मुख्य रूप से इस व्रत में वाणी के असत्य का ही त्याग बताया गया है। प्रतिज्ञा पाठ से इस बात को भलीभाँति जाना जा सकता है।
अहावरे तच्चे भंते ! महव्वए अदिन्नादाणाओ वेरमणं (विरमणं)। सव्वं भंते ! अदिन्नादाणं पच्चक्खामि, से गामे वा, नगरे वा, रण्णे वा, अप्पं वा, बहुं वा, अणुंवा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, नेव सयं अदिन्नं गिण्हिज्जा (गिण्हेज्जा), नेवन्नेहिं अदिन्नं गिण्हाविज्जा (गिण्हावेज्जा), अदिन्नं गिण्हंते वि अन्ने न समणुजाणिज्जा, जावज्जीवाए, तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए, काएणं, न करेमि, न कारवेमि, करतंपि अन्नं न समणुजाणामि । तस्स भंते ! पडिक्कमामि, निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि । तच्चे भंते ! महव्वए उवट्ठिओमि, सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं ।।13।। हिन्दी पद्यानुवाद
तृतीय महाव्रत चौर्य कर्म से, अब मैं विरमण करता हूँ। बिना दिये पर वस्तु ग्रहण को, शुद्ध भाव से तजता हूँ।। ग्राम नगर अथवा वन में, लेना अदत्त थोड़ा व अधिक । स्थूल सूक्ष्म निर्जीव तथा, चाहे हो चैतन्य सहित ।। लूँगा अदत्त ना वस्तु कोई, औरों से नहीं लिवाऊँगा। बिना दिये लेने वाले को, भला नहीं बतलाऊँगा ।। तीन करण और तीन योग से, मन से वचन तथा तन से। करूँ न करवाऊँ, करते को, भला न जानूँगा मन से ।।