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________________ आठवाँ अध्ययन] [225 भावार्थ-संसार के विविध विषों में क्रोध सबसे बड़ा विष है। इससे प्रीति नष्ट होती है और ज्ञानादि गुण बिना आग के ही भस्म हो जाते हैं। मान-जहाँ घमण्ड है वहाँ पूज्य पुरुषों का विनय नहीं टिकता । वर्षों शिष्यभाव से सेवा में रहने वाला जमालि, इस अहंकार के कारण ही गुरु द्रोही - कुशिष्य हो गया। माया, मैत्री भाव को नष्ट करती है और लोभ सभी सद्गुणों का विनाश करने वाला है। हिन्दी पद्यानुवाद उवसमेण हणे कोहं, माणं मद्दवया जिणे । मायं चज्जवभावेण, लोभं संतोसओ जिणे ||39 || उपशम से क्रोध भाव जीते, मृदुता से जीते मान सदा । ऋजुता माया को जीते, संतोष भाव से लोभ सदा ।। I अन्वयार्थ- कोहं = क्रोध को । उवसमेण = उपशम यानी क्षमा भाव से । हणे = नष्ट करे । मद्दवया = मार्दव भाव से । माणं जिणे = मान (गर्व ) पर विजय प्राप्त करे । च = और| अज्जवभावेण = सरल भाव से । मायं = कपट पर विजय पाए। लोभं = लोभ को। संतोसओ = संतोष वृति से । जिणे = जीते | भावार्थ- प्रेम या उपशम भाव से क्रोध को हटाया जाता है। मार्दव भाव से मान को जीता जाता है और आर्जव-सरल भाव से माया पर और सन्तोष से लोभ पर विजय पाई जाती है। उदाहरण के रूप में सुदर्शन उपशम भाव के सम्मुख अर्जुन के शरीर का यक्ष शान्त हो गया । दशार्णभद्र के मार्दव भाव ने इन्द्र के मान को खण्डित कर दिया। महावीर की सरलता के सम्मुख पण्डित सोमिल की माया चूर-चूर हो गयी। कपिल के मन की लालसा को सन्तोष भाव ने हवा में उड़ा दिया। हिन्दी पद्यानुवाद कोहो या माणो य अणिग्गहीया, माया य लोहो य पवड्ढमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया, चिंति मूलाइ पुणब्भवस्स ।।40।। हैं क्रोध मान अविजित जिसके, और माया लोभ बढ़े जिसके । चारों कषाय ये सींच रहे, जगती में मूल पुनर्भव उसके ।। अन्वयार्थ - अणिग्गहीया = उपशम और विनय भाव से अनिग्रहीत। कोहो य माणो = क्रोध और मान तथा । पवड्ढमाणा = निरंकुशता से बढ़ते हुए । य = और। माया य लोहो = माया और लोभ भाव । य = और। ए = ये । कसिणा = आत्मा को मलिन करने वाले । चत्तारि = चार । कसाया = कषाय । पुणब्भवस्स = पुनर्भव रूप संसार के । मूलाई सिंचंति = मूल का सिंचन करते हैं।
SR No.034360
Book TitleDash Vaikalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size3 MB
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