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________________ 212] [दशवैकालिक सूत्र भावार्थ-शिष्य के पूछने पर कि वे आठ सूक्ष्म जीव कौन से हैं, जिनको जानकर साधक अहिंसा का पूर्ण पालन करने वाला होता है, मेधावी विचक्षण गुरु ने कहा कि वे आठ सूक्ष्म जीव आगे कहे जाते हैं, जिनका जीवदया के लिये ज्ञान करना परम आवश्यक है। सिणेहं पुप्फसुहमं च, पाणुत्तिंगं तहेव य । पणगं बीय हरियं च, अंडसुहुमं च अट्ठमं ।।15।। हिन्दी पद्यानुवाद स्नेह सूक्ष्म और पुष्प सूक्ष्म, या प्राणि उत्तिंग सूक्ष्म होते । पनक बीज और हरित सूक्ष्म, आठवें अण्ड सूक्ष्म होते ।। अन्वयार्थ-सिणेहं = स्नेह सूक्ष्म । पुप्फसुहुमं = पुष्प सूक्ष्म । च = और । पाण = प्राण सूक्ष्म । तहेव उत्तिंगं य = तथा उत्तिंग सक्ष्म और । पणगं = पनक सक्ष्म । बीय = बीज सक्ष्म । हरियं च = हरित सूक्ष्म और । च अट्ठमं = और आठवाँ । अंड सुहुमं = अंड सूक्ष्म । भावार्थ-दृष्टिगोचर होने वाले त्रस जीवों के समान सूक्ष्म शरीर धारी जीवों की रक्षा का उपदेश देते हुए आठ प्रकार के सूक्ष्म बताये गये हैं। इनमें स्नेह सूक्ष्म 1, पुष्प सूक्ष्म 2, प्राण सूक्ष्म 3, उत्तिंग सूक्ष्म 4, पनक सूक्ष्म 5, बीज सूक्ष्म 6, हरित सूक्ष्म 7, और अण्ड सूक्ष्म 8 । प्राण और अण्ड दो त्रस और 6 स्थावर काय सूक्ष्म कहे हैं।' चूर्णिकार ने आठ सूक्ष्म की व्याख्या में इस प्रकार लिखा है स्नेह सूक्ष्म पाँच प्रकार का है-ओस 1, हिम 2, महिका 3, करक 4 और हरतणु 5। 2. पुष्प सूक्ष्म में-बड, उंबर आदि के फूल, तथा ऐसे ही वर्ण वाले कठिनाई से देखे जाने वाले फूल गिने गये हैं। 3. प्राण सूक्ष्म में-अनुद्धरी-कुंथु राशि जो चलने पर दिखती है, स्थिर अवस्था में ज्ञात नहीं होती, गिनी गई है। उत्तिंग सूक्ष्म में चींटी-कीड़ी नगरा का नगर अथवा जहाँ जो प्राणी कठिनाई से दृष्टिगोचर हों, सम्मिलित हैं। 5. पनक सूक्ष्म-काई (पनक-लीलण-फूलण)। यह पाँच वर्ण की होती है, खासकर वर्षा काल में उपकरण के समान रंग वाली होती है। 6. बीज सूक्ष्म-सरसों और शालि आदि के मुखमूल पर होने वाली कर्णिका बीज सूक्ष्म कहलाती है। 1. स्थानांग सूत्र का आठवाँ स्थान ।
SR No.034360
Book TitleDash Vaikalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size3 MB
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