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[अंतगडदसासूत्र सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बावीसइमं करेइ, करित्ता = दस उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियंपारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउवीसइमं करेइ, करित्ता = ग्यारह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छव्वीसइमं करेइ, करित्ता = बारह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठावीसइमं करेइ, करित्ता = तेरह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, तीसइमं करेइ, करित्ता = चौदह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बत्तीसइमं करेइ,करित्ता = पन्द्रह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणिय पारेइ,पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चोत्तीसइमं करेइ, करित्ता = सोलह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बत्तीसइमं करेइ, करित्ता = पन्द्रह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, एवं ओसारेइ जाव चउत्थं करेइ करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ = इस प्रकार वैसे ही एक-एक उतारते हुए यावत् उपवास किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । एक्काए कालो एक्कारस मासा पण्णरस य दिवसा = एक परिपाटी का काल ग्यारह महीने पन्द्रह दिन, चउण्हं तिण्णि वरिसा = चारों परिपाटियों में तीन वर्ष, दस य मासा = दस महीने लगे, सेसं तहेव जाव सिद्धा = शेष उसी प्रकार यावत् संलेखना, करके पितृसेनाकृष्णा भी सिद्ध हो गई।
भावार्थ-ऐसे ही पितृसेन कृष्णा का नवमाँ अध्ययन भी समझना चाहिये । इसमें विशेष इतना है कि गुरुणी आर्या चन्दन बाला की आज्ञा पाकर पितृसेन कृष्णा आर्या 'मुक्तावली' तप को अंगीकार करके विचरने लगी, जो इस प्रकार है
उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेला किया और इसी क्रम से दस किये और सर्वकामगुण पारणा किया,