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[अंतगडदसासूत्र पारयति, पारयित्वा चतुर्दशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा
षोडशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा पंचमी लता।।5।। अन्वायार्थ-अट्ठारसमं करेइ, करित्ता = आठ उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बीसइमं करेइ, करित्ता = नौ उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, दुवालसमं करेइ, करित्ता = पाँच उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउद्दसमं करेइ, करित्ता = छ: उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, सोलसमं करेइ, करित्ता = सात उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता =सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके, पंचमी लया = इस प्रकार पाँचवीं लता पूर्ण की।।5।।
भावार्थ-आठ किये और सर्वकामगुण पारणा किया, नव किये और सर्वकामगुण पारणा किया, पाँच किये और सर्वकामगुण पारणा किया, छह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, सात किये और सर्वकामगुण पारणा किया। यह पाँचवीं लता हुई।।5।। सूत्र 6 मूल- एक्काए कालो छम्मासा वीस य दिवसा । चउण्हं कालो दो वरिसा दो
मासा वीस य दिवसा। सेसं तहेव जहा काली जाव सिद्धा।।6।। संस्कृत छाया- एतस्याः (पंचलतात्मिकायाः) कालः षण्मासा: विंशतिश्च दिवसाः । चतसृणां
कालः द्वौ वर्षों द्वौ मासौ विंशतिश्च दिवसाः। शेषं तथैव यथा काली यावत्
सिद्धा।।6।। अन्वायार्थ-एक्काए कालो छम्मासा वीस य दिवसा = इस प्रकार एक परिपाटी का काल छ: मास और बीस दिन हुआ। चउण्हं कालो दो वरिसा = चारों का काल दो वर्ष, मासा वीस य दिवसा = दो मास और बीस दिन हुए, सेसं तहेव जहा काली जाव सिद्धा = शेष उसी प्रकार काली रानी के समान रामकृष्णा भी संलेखना करके यावत् सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गई।।6।।।
भावार्थ-इस तरह पाँच लताओं की एक परिपाटी हुई। ऐसी चार परिपाटियाँ इस तप में होती हैं। एक परिपाटी का काल छ: महीने और बीस दिन, एवं चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष, दो महीने और बीस दिन होते हैं। शेष उसी प्रकार पूर्व वर्णन के अनुसार समझना चाहिए।
काली के समान आर्या रामकृष्णा भी संलेखना करके यावत् सिद्ध-बुद्ध मुक्त हो गई।।6।।
।। इइ अट्ठममज्झयणं-अष्टम अध्ययन समाप्त ।।