SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय अध्ययन - चतुर्विंशतिस्तव] 27} वचो विग्रह संकोचो, द्रव्यपूजा निगद्यते । तथा मानससंकोचो, भावपूजा पुरातनैः ।।।।। (अमितगति श्रावकाचार) अर्थात् शरीर और वचन को बाह्य विषयों से रोककर प्रभु वन्दना में नियुक्त करना द्रव्य पूजा है। तथा मन, वचन, काया को बाह्य भोगासक्ति से हटाकर प्रभु के चरणों में अर्पण करना भाव पूजा है। भावपूजा भावपुष्पों से की जाती है। भाव पुष्प ये हैं अहिंसा सत्यमस्तेयं, ब्रह्मचर्यमसङ्गता। गुरुभक्तिस्तपो ज्ञानं, सत्पुष्पाणि प्रचक्षते ।। (आचार्य हरिभद्र ‘अष्टक प्रकरण) अर्थात् अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अनासक्ति, गुरु भक्ति, तप एवं ज्ञान रूपी प्रत्येक पुष्प जीवन को महका देने वाले है। ये हृदय के भावपुष्प आरुग्ग-द्रव्य आरोग्य-ज्वरादि रोगों से रहित होना और भाव आरोग्य का अर्थ कर्म रोगों से रहित होकर आत्म स्वरूपस्थ होना-सिद्ध होना। समाहिवरमुत्तमं-सर्वोत्कृष्ट समाधि को। समाधि का सामान्य अर्थ है चित्त की एकाग्रता यह समाधि मनुष्य का अभ्युदय करती है, अंतरात्मा को पवित्र बनाती है एवं सुख-दु:ख तथा हर्ष, शोक आदि के प्रसंगों में शांत तथा स्थिर रखती है। सर्वोत्कृष्ट समाधि दशा पर पहुँचने पर आत्मा का पतन नहीं होता। चंदेसु निम्मलयरा-चन्द्रमा में तो दाग है लेकिन अरिहंत प्रभु बेदाग हैं। अरिहंत प्रभु अपने निर्मल ज्ञान से सभी में निर्मल आत्मिक शान्ति प्रदान करते हैं। उनकी वाणी विषय कषाय रूपी संताप का हरण कर एकान्त शान्ति-शीतलता प्रदान करती है। आइच्चेसु अहियं पयासयरा-सूर्य तो नियमित क्षेत्र को प्रकाशित करता है, लेकिन तीर्थङ्कर प्रभु अपने दिव्य ज्ञान से तीन लोक को प्रकाशित करते हैं। सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु-यह लाक्षणिक भाषा है इसका अर्थ होता है-सिद्ध प्रभु के आलम्बन से मुझे सिद्धि प्राप्त हो। सिद्धि-अनन्तर सिद्धि-निरतिचार व्रत पालन रूप-उद्देश्य पूर्ति । परम्पर सिद्धि-मोक्ष रूपी उद्देश्य पूर्ति। 000
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy